बालेश्वर एवं मयूरभंज में हाथियों का तांडव
पड़ोसी राज्य झारखंड से करीबन 90 से ज्यादा हाथियों का दल नीलगिरी के गोपालपुर में
बालेश्वर : पड़ोसी राज्य झारखंड से करीब 90 से ज्यादा हाथियों का एक झुंड इन दिनों नीलगिरी के गोपालपुर में प्रवेश कर गया है। मयूरभंज होते हुए बालेश्वर पहुंचा यह झुंड ने लोगों के घर के बाहर रखे सामान के साथ केले के बागान को नुकसान पहुंचाया है। मित्रपुर के फारेस्टर गणेश प्रसाद लेंका के नेतृत्व में एक टीम इन जंगली हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने की कोशिश में लगी है। बुद्धिराम ¨सह, अंजू ¨सह, कार्तिक ¨सह के साथ कई लोगों के घरों को इन हाथियों ने तोड़ दिया है। बालेश्वर के नीलगिरी इलाके में धान के खेतों को भारी नुकसान पहुंचाया है। गोपालपुर में 4 घरों को तोड़ दिया है। हाथियों के डर से मचान बनाकर पेड़ों पर रहने को लोग मजबूर हैं। मयूरभंज में भी पांच एकड़ फसल हाथियों के झुंड ने बर्बाद कर दिया है। रास्ते में पड़ने वाले नल एवं बोरबेल पंप को जंगली हाथियों ने उखाड़ फेंका है। साग सब्जियों की फसलें पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। वन विभाग एवं गांव के लोगों द्वारा इन हाथियों को भगाने के लिए पटाखे फोड़े जा रहे हैं, बाजा बजाए जा रहे हैं तथा पूरी रात आग जलाकर रखवाली किया जा रहा है। शाम ढलते ही इन हाथियों का आतंक शुरू हो जाता है। नीलगिरी के इन इलाकों धान की फसल होने से हाथियों को चारा मिल रहा है। लोगों का अनुमान है कि धान की फसल होने के कारण यहां पर इन हाथियों का झूंड कुछ दिनों तक और ठहर सकता है। बालेश्वर एवं मयूरभंज के डीएफओ लोगों की फसलों व घरों को ज्यादा नुकसान न हो इसके लिए वे इन हाथियों पर कड़ी नजर रखकर जंगल में खदेड़ने का प्रयास में लगे है। यहां उल्लेखनीय है कि हर साल नवंबर से दिसम्बर महीने के बीच धान की फसल पक जाने के बाद पड़ोसी राज्य से हाथियों का विशाल दल उत्तरी ओडिशा के मयूरभंज एवं बालेश्वर जिला के विभिन्न स्थानों में अपना उत्पात मचाने आ जाता है। आखिर कितने दिन तक इन इलाकों में हाथी ठहरेंगे, कितना नुकसान करेंगे, यह सोच लोग घबराए हुए हैं।