नहीं रहे एक हजार शवों का दाह संस्कार करने वाले डॉक्टर कालीपद
जिले के जाने-माने होम्योपैथिक चिकित्सक तथा लोगों के अंतिम समय के स
जागरण संवाददाता, बालेश्वर : जिले के जाने-माने होम्योपैथिक चिकित्सक तथा लोगों के अंतिम समय के साथी वरिष्ठ डॉक्टर कालीपद भट्टाचार्य नहीं रहे। उन्होंने मंगलवार की सुबह 6:30 बजे अंतिम सांस ली। इनके मृत्यु की खबर सुनते ही लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। पिता रजनी बल्लभ भट्टाचार्य से प्रेरित होकर मात्र 9 साल की उम्र से ही वह लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल होने लगे थे। उस वक्त प्रथा थी कि ब्राह्माण के शव को ब्राह्माण ही कंधा दिया करते थे। उम्र के साथ डॉक्टर बनने के बाद इन्होंने इसे भी पेशे के साथ जारी रखा। किसी भी धर्म या जाति का व्यक्ति यदि उन्हें सूचित कर देता था कि शव के साथ अंतिम संस्कार में शामिल होना है तो वह मरीज एवं क्लीनिक छोड़ उसके साथ हो लेते थे। चिकित्सा के क्षेत्र में डॉक्टर साहब ने इतना नाम नहीं कमाया जितना कि शव दाह के क्षेत्र में कमाया। शव दाह के लिए डॉ. कालीपद कभी किसी से पैसा नहीं लेते थे। महायात्रा के महामानव ने मंगलवार को जैसे ही सुबह साढ़े छह बजे अंतिम सांस ली बालेश्वर में मातम पसर गया। शहर के विभिन्न मार्केट कांप्लेक्स बंद हो गए। फांडी बाजार, नयाबाजार, कचहरी बाजार, ओटी रोड स्थित विभिन्न बाजारों में शोक सभा कर उन्हें श्रद्धाजंलि दी गई। विचारगंज मार्केट में भी शोकसभा हुई। मनोरंजन साहू, दिवाकर, हरेकृष्ण बारिक, भगवान बेहेरा, रवींद्र महालिक, पद्मलोचन महालिक, हरेकृष्ण नंदी, जूलियस पंडा, बापी नंदी के साथ हजारों की संख्या में लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। शहर के समाजसेवियों ने डॉ. कालीपद के निधन को समाज के लिए भारी क्षति बताया है। वे अपने पीछे पत्नी, पुत्र व पुत्रवधु छोड़ गए हैं।