Move to Jagran APP

किशनगंगा और रतला प्रोजेक्ट को विश्व बैंक की हरी झंडी

विश्व बैंक ने कहा कि सिंधु जल संधि में इन दोनों नदियों के साथ ही सिंधु को पश्चिमी नदियों के तौर पर घोषित किया गया है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 02 Aug 2017 08:14 PM (IST)Updated: Wed, 02 Aug 2017 08:14 PM (IST)
किशनगंगा और रतला प्रोजेक्ट को विश्व बैंक की हरी झंडी
किशनगंगा और रतला प्रोजेक्ट को विश्व बैंक की हरी झंडी

वाशिंगटन, प्रेट्र। जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रतला पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण की राह में बाधा खड़ी करने की पाकिस्तान की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है। विश्व बैंक ने उसकी आपत्तियों को दरकिनार करते हुए भारत को इनके निर्माण की इजाजत दे दी है। विश्व बैंक ने कहा कि सिंधु जल संधि के तहत भारत को झेलम और चिनाब की सहायक नदियों पर कुछ शर्तो के साथ पनबिजली संयंत्रों के निर्माण की अनुमति है। विश्व बैंक के अनुसार भारत और पाकिस्तान में इस बात पर सहमति बनी है कि वे इस संबंध में अगले दौर की वार्ता सितंबर में वाशिंगटन डीसी में करेंगे।

loksabha election banner

विश्व बैंक ने सिंधु जल संधि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सचिव स्तर की वार्ता समाप्त होने के बाद बुधवार को यह जानकारी दी। इस वैश्विक संस्था ने कहा कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में भारत द्वारा बनाए जा रहे किशनगंगा (330 मेगावॉट) और रतला (850 मेगावॉट) पनबिजली संयंत्रों का विरोध कर रहा है। दोनों देशों में इस बात को लेकर असहमति है कि पनबिजली संयंत्रों की तकनीकी डिजाइन संधि का उल्लंघन है या नहीं।

विश्व बैंक ने कहा कि सिंधु जल संधि में इन दोनों नदियों के साथ ही सिंधु को पश्चिमी नदियों के तौर पर घोषित किया गया है। पाकिस्तान पर इन नदियों के पानी के इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं है। दोनों देशों की वार्ता के बाद जारी की गई वस्तुस्थिति रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि अन्य इस्तेमाल के साथ भारत को संधि के संलग्नक में शामिल शर्तो के साथ इन नदियों पर पनबिजली संयंत्रों के निर्माण की अनुमति है। सिंधु जल संधि के तकनीकी मसलों को लेकर इस हफ्ते भारत और पाकिस्तान के बीच सचिव स्तर की वार्ता सद्भावना और सहयोग के माहौल में हुई।

पंचाट चाहता था पाकिस्तान

पाकिस्तान चाहता था कि एक पंचाट गठित किया जाए जो दोनों संयंत्रों की डिजाइन को लेकर उसकी चिंताओं पर गौर करे। जबकि भारत ने कहा कि एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति की जाए, जो इस मामले की पड़ताल करे।

1960 में हुई थी सिंधु जल संधि

सिंधु जल संधि पर भारत और पाकिस्तान ने 1960 में हस्ताक्षर किए थे। इस संधि के लिए दोनों देशों में नौ साल तक वार्ता चली थी। इसमें विश्व बैंक ने मदद की थी। इस संधि पर विश्व बैंक के भी हस्ताक्षर हैं।

यह भी पढ़ें : आतंकी अबु इस्माइल को मिल सकती है दुजाना की जगह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.