अग्नि-5 के परीक्षण की अमेरिका में प्रशंसा
अमेरिका मिसाइल मामले में चीन के साथ अंतर पाटने के भारत के प्रयास का समर्थन करता है। इस मामले में भारत की प्रगति से उसे कोई समस्या नहीं है।
वाशिंगटन। अमेरिका मिसाइल मामले में चीन के साथ अंतर पाटने के भारत के प्रयास का समर्थन करता है। इस मामले में भारत की प्रगति से उसे कोई समस्या नहीं है।
अमेरिकी शोध संस्था हेरिटेज फांउडेशन की लीसा कुर्तिस तथा बेकर स्पि्रंग ने कहा कि परमाणु हथियार ढोने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण कर भारत ने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी चीन के खिलाफ परमाणु प्रतिरोधक क्षमता हासिल की है।
कुर्तिस और स्प्रिंग ने ब्लाग में लिखा है, 'भारत के हाल में किए गए मिसाइल परीक्षण की अमेरिका द्वारा आलोचना नहीं करना बताता है कि अमेरिका को परमाणु तथा मिसाइल के क्षेत्र में भारत की प्रगति से कोई समस्या नहीं है। साथ ही वह चीन से मिलने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की जरूरतों को समझता है।'
अग्नि-5 लगभग 5,000 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। मिसाइल विकास कार्यक्रम में यह महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अग्नि-5 के अगले दो से तीन साल में पूरी तरह परिचालन में आने की संभावना है।
मिसाइल परीक्षण पर अमेरिकी विदेश विभाग ने केवल इतना कहा कि परमाणु हथियारों से संपन्न सभी देशों को संयंम बरतना चाहिए। हालांकि विभाग ने यह भी कहा कि भारत का परमाणु अप्रसार के मामले में रिकार्ड बेहतर है।
दोनों शोधकर्ताओं ने कहा, 'वाशिंगटन का यह रुख 1990 के दशक में भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल विकास पर रहे उसके रुख से बिल्कुल विपरीत है, क्योंकि उस समय वाशिंगटन ने परमाणु और मिसाइल को लेकर भारत के रुख में बदलाव के लिए नई दिल्ली पर दबाव बनाया था।' उन्होंने कहा कि अमेरिका का नया रुख उसकी अप्रसार नीति में एक स्वागतयोग्य विकास को भी प्रदर्शित करता है।
कर्टिस और स्प्रिंग ने कहा है, 'भारत की मिसाइल क्षमता के संदर्भ में अमेरिकी रुख में बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि पिछले दशक के दौरान अमेरिका-भारत के रिश्ते में कितना अधिक विकास हुआ है।'
दोनों ने कहा, 'अमेरिका अब भारत को एक रणनीतिक साझेदार मानता है, क्योंकि उसकी आर्थिक और राजनीतिक ताकत बढ़ रही है, जो एशिया में सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने में योगदान करेगा।'
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