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यूएस ने फिर की एनएसजी सदस्य देशों से अपील, कहा- भारत का करें समर्थन

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एनएसजी सदस्य देशों से अपील की है कि वे भारत के सदस्यता दावे को समर्थन करें।

By kishor joshiEdited By: Published: Fri, 17 Jun 2016 10:40 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jun 2016 11:30 AM (IST)

वाशिंगटन (पीटीआई)। अमेरिका ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के सदस्य देशों से इस विशिष्ट समूह में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन करने का अनुरोध किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अमेरिका ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के सहयोगी देशों से यह अपील की है कि जब भी एनएसजी की समग्र चर्चा हो तब इसके सहयोगी देश भारत के आवेदन का समर्थन करें जो संभवत: अगले हफ्ते होगी।’’

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एक प्रश्न का जवाब देते हुए किर्बी ने कहा, ‘‘फिलहाल मैं यह बताने की स्थिति में नहीं हूं कि यह कैसे होगा और ना ही मैं इस बारे में कोई अटकल लगा सकता हूं कि किस तरह से इसे किया जाएगा, लेकिन हमारा रूख साफ है कि हम भारत के आवेदन का समर्थन करेंगे।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले सप्ताह अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 48 सदस्यीय समूह के लिए भारत के आवेदन का स्वागत किया था। अमेरिका एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन कर रहा है।

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इससे पहले यहां एक बैठक से पूर्व अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे देशों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि उन्हें ‘‘समूह में भारतीय प्रशासन को शामिल किए जाने पर आम सहमति में रुकावट नहीं डालते हुए इस पर सहमति जतानी चाहिए।

गौरतलब है कि पीएम मोदी और ओबामा के बीच बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त बयान में यह कहा गया कि अमेरिका एनएसजी के सदस्य देशों से यह अपील करता है कि इस महीने के आखिर में एनएसजी प्लेनरी में भारत का आवेदन आने पर इसके सहयोगी देश भारत का समर्थन करें। बहरहाल, एनएसजी का सदस्य नहीं होने के बावजूद भारत अमेरिका के साथ अपने परमाणु सहयोग समझौता के लिए 2008 के एनएसजी नियमों में छूट के तहत इसकी सदस्यता का लाभ ले रहा है।

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एनएसजी परमाणु से संबंधित अहम मुद्दों को देखता है और इसके सदस्यों को परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार एवं उसके निर्यात की इजाजत होती है। एनएसजी सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और भारत के खिलाफ एक देश का भी वोट भारत की दावेदारी को नुकसान पहुंचा सकता है।

अमेरिका ने एनएसजी में भारत के प्रवेश पर समर्थन के संबंध में यह बयान ऐसे समय में दिया है जब एक दिन पहले चीन की आधिकारिक मीडिया ने चिंता जताई थी कि भारत के प्रवेश से दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन ‘‘प्रभावित’’ होगा और भारत एक ‘‘वैध’’ परमाणु शक्ति बन जाएगा।


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