नरसंहार नहीं थे सिख विरोधी दंगे : अमेरिका
ओबामा प्रशासन ने मंगलवार को भारत में उन्नीस सौ चौरासी में हुए सिख विरोधी दंगों को नरसंहार मानने से इंकार कर दिया है। लेकिन यह जरूर माना कि उस समय मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ था। अमेरिका में रह रहे खालिस्तान समर्थकों को इससे झटका लगा है। व्हाइट हाउस ने यह जवाब अमेरिका में सिख समुदाय द्वारा
वाशिंगटन। ओबामा प्रशासन ने मंगलवार को भारत में उन्नीस सौ चौरासी में हुए सिख विरोधी दंगों को नरसंहार मानने से इंकार कर दिया है। लेकिन यह जरूर माना कि उस समय मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ था। अमेरिका में रह रहे खालिस्तान समर्थकों को इससे झटका लगा है।
व्हाइट हाउस ने यह जवाब अमेरिका में सिख समुदाय द्वारा चलाए गए एक आनलाइन याचिका अभियान के बाद दिया है, जिसमें ओबामा प्रशासन से 1984 के दंगों को नरसंहार घोषित करने का आग्रह किया गया था। 15 नवंबर, 2012 को शुरू किए गए इस अभियान के तहत कुछ ही सप्ताह के अंदर 30 हजार लोगों ने इसके पक्ष में हस्ताक्षर किए थे।
गौरतलब है कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा हर उस याचिका की पुनर्समीक्षा की जाती है, जिसमें कम से कम 25,000 लोगों के हस्ताक्षर हों और उसका जवाब दिया जाता है।
व्हाइट हाउस के अनुसार, 1984 के दंगों व उसके बाद अमेरिका ने सार्वजनिक रिपोर्ट में यह माना है कि मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ था और बड़े स्तर पर सिख समुदाय के खिलाफ हत्या व लूटपाट की घटनाएं हुई थीं।
उक्त टिप्पणी पर न्यूयार्क आधारित सिख फार जस्टिस ग्रुप के गुरपतवंत एस पन्नू ने हताशा व्यक्त करते हुए कहा है कि ओबामा प्रशासन सिखों के कत्लेआम पर अपना पक्ष रखने में नाकाम रहा है।
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