चीन को घेरने में भारत कामयाब, पनडुब्बियों पर रहेगी पैनी नजर
आने वाले समय में हिंद महासागर में छिपी किसी भी चीन की पनडुब्बी की जानकारी भारत को मिल जाएगी। इसकी वजह इस क्षेत्र में अमेरिका का भारत के साथ आना है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। हिंद महासागर में चीन की पनडुब्बियों को खोजने में अमेरिका भारत की मदद करेगा। इसको लेकर दोनों देश एक साथ काम करेंगे। यह पहला मौका है जब दोनों देश इस काम को एक साथ अंजाम देंगे। पनडुब्बियों को खोजने में भारत की क्षमता बढ़ाने के मकसद से वाशिंगटन ने बाेईंग P-8I सौदे को मंजूरी दे दी है। यह एक मल्टी मिशन मेेरिटाइम एयरक्राफ्ट है। इस लिहाज से इसका इस्तेमाल कई जगहों पर किया जा सकता है। इस विमान में लगी अत्याधुनिक तकनीक के बल पर ही इस विमान को सबमैरीन हंटर भी कहा जाता है।
यूएस एडमिरल ने की पुष्टि
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक इसकी जानकारी देते हुए अमेरिका की पेसफिक कमांड के एडमिरल हैरी हैरिस ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिका इस क्षेत्र में भारत की क्षमता को बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि इस दौरान ऑपरेशन की जानकारी को दोनों देश आपस में साझा करेंगे और एक दूसरे की मदद करेंगे। इससे ज्यादा उन्होंने कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में दूसरे देशों की पनडुब्बी पर नजर रखना एक बड़ी चुनौती हैै।
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समुद्री सुरक्षा मजबूत करना है मकसद
जापान-अमेरिका और भारत के बीच अरब सागर में की गई मालाबार एक्सरसाइज के दौरान भी इसका अभ्यास किया गया था। यह एक्सरसाइज हर वर्ष की जाती है। एडमिरल हैरिस ने कहा कि इसका मकसद अपनी क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करना है।
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पाक-चीन के बीच आर्थिक कॉरिडोर का निर्माण
गौरतलब है कि चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर एक आर्थिक कॉरिडोर का निर्माण कर रहा है। इसके जरिए चीन अपने व्यापार को कम लागत पर फारस की खाड़ी तक बेचना चाहता है। हालांकि भारत शुरू से ही इस कॉरिडोर के निर्माण को अवैध बताता आ रहा है। भारत का कहना है कि जिस जगह इस कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है उस हिस्से पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। वहीं दूसरी ओर चीन ने भारत को भी इस योजना का हिस्सा बनने की अपील की है।