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पीएम बने तो अमेरिका का सिरदर्द बढ़ाएंगे मोदी

भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे को लेकर भारत और अमेरिका के बीच अभी गतिरोध जारी है। वहीं आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के जीतने की संभावनाओं केबीच दोनों देशों के संबंधों पर मंथन शुरू हो गया है। प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने अपने नवीनतम अंक में कहा है कि मोदी का कद बढ़ने से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ेगा।

By Edited By: Published: Sat, 18 Jan 2014 07:33 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2014 02:01 PM (IST)

वाशिंगटन। भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे को लेकर भारत और अमेरिका के बीच अभी गतिरोध जारी है। वहीं आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के जीतने की संभावनाओं केबीच दोनों देशों के संबंधों पर मंथन शुरू हो गया है। प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने अपने नवीनतम अंक में कहा है कि मोदी का कद बढ़ने से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ेगा।

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अमेरिका में भारतीय उपमहावाणिज्य दूत खोबरागडे को वीजा धोखाधड़ी और अपनी नौकरानी को कम मेहनताना देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। राजनयिक छूट मिलने के बाद वह स्वदेश लौट गई हैं। 27 जनवरी के अंक में पत्रिका के वरिष्ठ संवाददाता माइकल क्राउले ने लिखा, उनकी वापसी के बाद संबंधों के जल्द सुधरने की उम्मीद नहीं है। वास्तव में माहौल और तनावपूर्ण हो सकता है क्योंकि एक महत्वपूर्ण भारतीय के वीजा को लेकर विवाद जारी है। क्राउले ने कहा, 'अगर आगामी मई में होने वाले चुनाव में भाजपा जीतती है तो मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। अमेरिका वर्ष 2002 के गुजरात दंगों में कथित भूमिका के कारण मोदी को वीजा देने से इन्कार करता आ रहा है। हालांकि भारत के किसी न्यायालय ने उन्हें दोषी नहीं पाया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 2005 में अमेरिकी कानून के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन को लेकर मोदी को वीजा देने से इन्कार कर दिया था। क्राउले ने कहा कि जब मोदी राष्ट्रीय स्तर की भूमिका में नहीं थे तब यह प्रतिबंध अप्रासंगिक था, लेकिन क्या वाशिंगटन भारत के शासनाध्यक्ष को काली सूची में डाल सकता है? उनके मुताबिक अमेरिकी नीति निर्माता इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि गत नवंबर में अमेरिकी संसद में पेश किए गए प्रस्ताव में विदेश मंत्रालय से मोदी केप्रवेश पर रोक को बरकरार रखने की मांग की गई थी। क्राउले ने कहा कि यथार्थवादी और अमेरिकी व्यवसायी मोदी के विदेशी निवेश पर खुले रवैये का फायदा उठाना चाहते हैं। उनका कहना है कि मोदी केचरित्र को भारत के साथ अमेरिका के व्यापक संबंधों के लिए उतना महत्वपूर्ण नहीं माना जाना चाहिए। क्राउले के मुताबिक मोदी के जीतने पर देश व विदेश के तमाम लोग ओबामा प्रशासन पर दबाव बनाएंगे कि उनके अतीत की निंदा की जाए और उनके अमेरिका आने पर रोक लगाई जाए। हालांकि राष्ट्रहित में राष्ट्रपति बराक ओबामा को अलग सिद्धांत अपनाना होगा। मोदी के प्रधानमंत्री बनने की सूरत में उन्होंने दोनों देशों को आगे कदम बढ़ाने का सुझाव दिया है।

पढ़ें: यूरोपीय संघ ने मोदी को बताया अत्यंत ख्याति वाला व्यक्ति

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