ईसा की शादी के दावे वाली पांडुलिपि की होगी जांच
ईसा मसीह ने विवाह किया था या नहीं, इस पर अब तक कई तर्क दिए जा चुके हैं, लेकिन अब 'गॉस्पेल ऑफ जीसस वाइफ' नामक एक भोजपत्र की स्याही की कार्बन जांच करके इस तथ्य का पता लगाया जाएगा। दावा किया गया है कि प्राचीन कॉप्टिक भाषा में इस भोजपत्र
जागरण डेस्क, नई दिल्ली। ईसा मसीह ने विवाह किया था या नहीं, इस पर अब तक कई तर्क दिए जा चुके हैं, लेकिन अब 'गॉस्पेल ऑफ जीसस वाइफ' नामक एक भोजपत्र की स्याही की कार्बन जांच करके इस तथ्य का पता लगाया जाएगा। दावा किया गया है कि प्राचीन कॉप्टिक भाषा में इस भोजपत्र पर लिखा है 'ईसा ने उनसे कहा 'मेरी पत्नी' और वही मेरी शिष्य बनने लायक होगी।'
यह भोजपत्र दुनिया के सामने पहली बार हार्वर्ड डिविनिटी स्कूल के प्रोफेसर केरेन किंग 2012 में लाए थे। उन तक यह दस्तावेज किसी ने खुफिया तरीके से पहुंचाया था, जिसके तुरंत बाद ही विवाद शुरू हो गया था। हालांकि, पिछले वर्ष इस दस्तावेज की कार्बन जांच से पता चला था कि यह चौथी से आठवीं सदी के बीच लिखा गया था और असली है, लेकिन वेटिकन के एक समाचार पत्र का कहना है कि यह पूरी तरह से नकली है। अब इस दस्तावेज की स्याही की नई कार्बन जांच की गई है, जिसकी बुनियाद पर पता चलेगा कि यह असली है या नहीं।
नकली स्याही
दस्तावेज को नकली सिद्ध करने के लिए कहा गया है कि भोजपत्र में ईसा मसीह की पत्नी से जुड़े अंश किसी दूसरी स्याही से लिखे गए हैं। पिछले वर्ष की कार्बन जांच के आधार पर बताया गया था कि भोजपत्र के अन्य अंशों में से कुछ सातवीं से नवीं सदी के बीच लिखे गए थे। विशेषज्ञों के अनुसार यह अंश लाइकोपोलिटन बोली में लिखे गए हैं, जो छठी सदी से पहले ही समाप्त हो गई थी। लिहाजा दस्तावेज नकली है।
इसके विपरीत, कोलंबिया यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ प्रो. यार्डले का कहना है कि पहली जांच में भोजपत्र में इस्तेमाल दो तरह की स्याही का तो पता चला था, पर इस प्राचीन दस्तावेज की उत्पत्ति का पता लगाना कठिन है। वह कहते हैं कि इससे जुड़े शोध अभी जारी हैं। यही नहीं, भोजपत्र के मौजूदा मालिक भी सामने आने से इन्कार करते हैं, जिस कारण पांडुलिपि की मौलिकता का रहस्य और उलझ गया है।