इस वजह से समय से पहले ही से इस्तीफा दे सकते हैं रूस के राष्ट्रपति पुतिन!
सलोवे के मुताबिक पुतिन मानते हैं कि जब तक वे राष्ट्रपति हैं, अमेरिका से राजनीतिक संबंध सुधारना मुमकिन नहीं होगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समय से पहले अपना पद छोड़ सकते हैं। वहां की संसद क्रेमलिन के विशेष जानकार वैलेरी सोलोवे ने पुतिन की बिगड़ती सेहत की ओर इशारा करते हुए संकेत दिया है कि अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में पुतिन दावेदारी पेश नहीं करेंगे। यह चुनाव भी पुतिन के छह वर्षीय कार्यकाल के पूरे होने से एक साल पहले आयोजित किए जा रहे हैं। हालांकि सोलोवे ने इस संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं दी, लेकिन अगर वाकई पुतिन राष्ट्रपति पद छोड़ते हैं तो यह वैश्विक राजनीति और शक्ति संतुलन में एक बड़ा बदलाव साबित होगा। सोलोवे ऐसे व्यक्ति हैं जो रूसी राजनीति और क्रेमलिन पर खास पकड़ रखते हैं। रूसी राजनीति में इनके पूर्व के अनुमान भी सटीक रहे हैं।
सलोवे के मुताबिक पुतिन मानते हैं कि जब तक वे राष्ट्रपति हैं, अमेरिका से राजनीतिक संबंध सुधारना मुमकिन नहीं होगा। इसलिए वे ऐसे राजनेता के लिए सत्ता छोड़ना चाहते हैं जिसके अमेरिका से संबंध अच्छे हों। हालांकि इस खबर को लेकर कई लोगों के मन में इसलिए भी संशय है क्योंकि पुतिन ट्रंप को ऐसा अकेला अमेरिकी राजनेता मानते हैं जिसके साथ वे मित्रता कर सकते हैं। रूसी वेबसाइट पर सोलोवे से बातचीत के आधार पर चली इस खबर को दबाव के चलते चंद ही घंटों में हटा दिया गया। हालांकि सोलोवे का कहना है कि दिसंबर में लोगों को अपने सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा।
पद के दावेदार
सोलोवे ने राष्ट्रपति बनने के संभावित उम्मीदवारों में पूर्व उप रक्षामंत्री ऐलेक्सी द्युमिन और पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव का नाम बताया है। ऐलेक्सी द्युमिन पुतिन के अंगरक्षक भी रहे हैं। इसी साल पुतिन ने उन्हें टुला क्षेत्र का गर्वनर नियुक्त किया था। वहीं उदारवादी नेता मेदवेदेव को ज्यादा लोग पसंद नहीं करते हैं। इसमें पुतिन की भरोसेमंद सुरक्षा लॉबी भी शामिल है।
दो बार बने राष्ट्रपति
पुतिन ने अपने करियर की शुरुआत 1975 में रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी में अधिकारी के तौर पर की थी। उन्होंने यहां 16 साल तक अपनी सेवाएं दी। 1998 में वे तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की सरकार में मंत्री बने। 1999 में वे प्रधानमंत्री बने और 2000 में उन्होंने राष्ट्रपति पद संभाला। 2008 में दोबारा प्रधानमंत्री चुने गए और 2012 में दोबारा राष्ट्रपति बने।
बड़े और कड़े फैसले
पुतिन बड़े और कड़े फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। इसमें इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के खिलाफ मोर्चा खोलना, अमेरिका का हर कदम पर सख्त विरोध शामिल है। उक्रेन मसले ने भी उन्हें कद्दावर नेता के रूप में स्थापित किया।
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