दक्षिण चीन सागर पर पेशबंदी
आसियान बैठक के दौरान दक्षिण चीन सागर पर किसी तरह की प्रत्यक्ष या परोक्ष चर्चा पर दुनिया की निगाहें रहेंगी। एशिया के ऐसे सभी देश इस बैठक में शामिल हैं, जो इस बेहद संवेदनशील सागरीय क्षेत्र में चीन के दबदबे पर सवाल उठा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी आसियान में शिरकत कर रहे हैं। भारत
नामपेन, राजकिशोर। आसियान बैठक के दौरान दक्षिण चीन सागर पर किसी तरह की प्रत्यक्ष या परोक्ष चर्चा पर दुनिया की निगाहें रहेंगी। एशिया के ऐसे सभी देश इस बैठक में शामिल हैं, जो इस बेहद संवेदनशील सागरीय क्षेत्र में चीन के दबदबे पर सवाल उठा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी आसियान में शिरकत कर रहे हैं। भारत इस मुद्दे पर खुद को दिखा तो तटस्थ रहा है, लेकिन चीन को असहज करने वाले विषय पर अपना समर्थन दे सकता है।
भारतीय पक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और बराक ओबामा की मुलाकात की कोशिशों में लगा है। हालांकि, दोनों की मुलाकात का कार्यक्रम पहले से तय नहीं है। चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ, सिंगापुर, फिलीपींस, कंबोडिया और थाईलैंड के राष्ट्राध्यक्षों से भारतीय प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय वार्ता का कार्यक्रम तय है। दोबारा चुनाव जीतकर आ रहे ओबामा से अपेक्षा की जा रही है कि वह मानवाधिकार व दक्षिण चीन सागर पर चीन के रुख के खिलाफ सख्त हो सकते हैं। फिलीपींस, म्यामार और ब्रूनेई पहले से ही दबाव बनाए हुए हैं कि दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रभुत्व का मुद्दा आसियान के एजेंडे में शामिल किया जाए। पिछले साल नवंबर में बाली की आसियान बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। कंबोडिया को छोड़ दें, तो आसियान के बाकी नौ और पूर्वी एशिया के आठ देश दक्षिण एशियाई महासागर में चीन के दबदबे के प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खिलाफ हैं। भारत भी समुद्री यातायात में किसी भी तरह की बाधा या हक को खारिज करता रहा है। अलबत्ता भारतीय पक्ष इस पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। वाणिज्य व उद्योग व्यापार मंत्री आनंद शर्मा ने कहा, 'यह आसियान और चीन के बीच का मामला है।' संकेत मिल रहे हैं कि प्रधानमंत्री की चीनी समकक्ष के साथ बैठक में यह मुद्दा भी चर्चा में रहेगा।
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