दुनिया का पहला कैशलेस देश बनने की राह पर स्वीडन
स्वीडन दुनिया का पहला कैशलेस राष्ट्र बनने की राह पर चल रहा है। यानी यहां नगदी की जगह सारा लेन-देन ऑनलाइन, डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिये हो रहा है। ऐसा इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि देश सूचना तकनीक को अपना रहा है।
लंदन। स्वीडन दुनिया का पहला कैशलेस राष्ट्र बनने की राह पर चल रहा है। यानी यहां नगदी की जगह सारा लेन-देन ऑनलाइन, डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिये हो रहा है। ऐसा इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि देश सूचना तकनीक को अपना रहा है।
इसके साथ ही संगठित अपराध और आतंक पर काबू करने में स्वीडन कामयाब रहा है। इसके चलते लोग बेखौफ होकर डिजिटल भुगतान प्रणाली को अपना रहे हैं।
स्वीडन में केटीएच रॉयल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में रिसर्चर निकलस आरविदसॉन ने बताया कि स्वीडन ने तेजी से मोबाइल पेमेंट सिस्टम को अपनाया है, जिसकी वजह से जल्द ही वह दिन आ जाएगा जब स्वीडन दुनिया का पहला कैशलेस राष्ट्र बन जाएगा।
आरविदसॉन ने बताया कि स्वीडन में अब कैश के जरिये खरीदारी का इस्तेमाल बहुत ही कम है और यह बहुत ही तेजी से घट रहा है। स्वीडन में छोटी खरीदारी तक के लिए बैंक कार्ड बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहे हैं। महज 80 अरब स्वीडिश क्राउन सर्कुलेशन में है, जो छह साल पहले करीब 106 अरब था।
उन्होंने बताया कि इस रकम में से भी 40 से 60 फीसदी के बीच ही नियमित रूप से सर्कुलेशन में है। बाकी पैसा या तो लोगों के घरों में है या बैंक में जमा है या गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल हो रहा है।
उन्होंने बताया कि स्वीडिश बैंकों ने पहले ही एडवांस आईटी सिस्टम को अपनाया है। इसके अलावा डिजिटल पेमेंट करना सरल है और इस पर खर्च भी काफी कम होता है, जिससे यह भुगतान प्रणाली में पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है। स्वीडन में कई बैंक ऐसे हैं, जिनकी शाखाएं 100 फीसद डिजिटल हैं और कैश नहीं लेती हैं।