नहीं चेते तो सवालों में घिर जाएगा जी-20
लास कैबोस [मेक्सिको]। यूरो जोन के कर्ज संकट के बीच विश्व अर्थव्यवस्था को मंदी के दलदल मे जाने से रोकने के लिए प्रयास करने होगे। दुनिया के विकसित और विकासशील देशो के संगठन जी-20 के शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस संकट से निकलने मे कामयाबी की उम्मीद जताई। लेकिन समूह के देश यूरोप पर इसके लिए दबाव डाल रहे है।
लास कैबोस [मेक्सिको]। यूरो जोन के कर्ज संकट के बीच विश्व अर्थव्यवस्था को मंदी के दलदल में जाने से रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। दुनिया के विकसित और विकासशील देशों के संगठन जी-20 के शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस संकट से निकलने में कामयाबी की उम्मीद जताई। लेकिन समूह के देश यूरोप पर इसके लिए दबाव डाल रहे हैं कि वह खुद ही अपने वित्तीय दुष्चक्र को तोड़कर बाहर निकले। डूबने के कगार पर खड़े बैंक और सरकारों की खराब राजकोषीय स्थिति इस दुष्चक्र की प्रमुख कड़िया हैं।
मनमोहन के इस सुझाव को भी खासा समर्थन मिला है कि विश्व अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जी-20 देशों को आधारभूत ढांचा क्षेत्र पर बड़े पैमाने पर निवेश करना होगा। भारत समेत उभरते विकासशील देशों की भूमिका इस सम्मेलन के दौरान और असरदार नजर आएगी। पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मनमोहन से टेलीफोन पर बातचीत के दौरान यूरो जोन के कर्ज संकट के जल्दी से जल्दी समाधान निकालने को लेकर साझा प्रयासों की बात कही थी।
विश्व के पांच प्रमुख विकासशील देश- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका [ब्रिक्स] सम्मेलन के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक में सुधारों को लागू करने की मांग भी उठाएंगे। लंबे समय से लंबित इन सुधारों के तहत प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को ज्यादा मतदान अधिकार दिया जाना है।
फिलहाल इस संगठन की अध्यक्षता भारत के पास है। इस नाते मनमोहन ब्रिक्स की ओर से साझा आवाज उठाएंगे। जी-20 के इस सातवें शिखर सम्मेलन से इतर भारतीय प्रधानमंत्री विश्व के प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों से अलग से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे।
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