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आतंकवाद को 'पाक' समर्थन, लखवी की जमानत को चुनौती नहीं

आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का ढुलमुल रवैया एक बार फिर सामने आया है। मुंबई हमला मामले की सुनवाई के लिए तय समय सीमा खत्म होने के बावजूद पाकिस्तान सरकार ने चुप्पी साध रखी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले में सरकार की कमजोरियों का जिक्र करते हुए सोमवार को

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 10:07 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 10:25 PM (IST)
आतंकवाद को 'पाक' समर्थन, लखवी  की जमानत को चुनौती नहीं

लाहौर। आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का ढुलमुल रवैया एक बार फिर सामने आया है। मुंबई हमला मामले की सुनवाई के लिए तय समय सीमा खत्म होने के बावजूद पाकिस्तान सरकार ने चुप्पी साध रखी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले में सरकार की कमजोरियों का जिक्र करते हुए सोमवार को बताया कि हमलों के मास्टरमाइंड जकी उर रहमान लखवी की जमानत को दोबारा चुनौती दिए जाने की संभावना नहीं है।

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इस्लामबाद उच्च न्यायालय ने अप्रैल में कहा था कि मामले की सुनवाई में यदि बचाव पक्ष (लखवी) के वकील देरी के लिए जिम्मेदार पाए गए तो लखवी की जमानत रद कर दी जाएगी। अधिकारी ने बताया कि जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। सुनवाई में देरी अभियोजन पक्ष के उन सदस्यों की ओर से की गई है जिन्हें सरकार हर सुनवाई में पेश होने के लिए अच्छी खासी रकम देती है।

उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने लखवी की जमानत रद करने के लिए दायर सरकार की याचिका का निपटारा करते हुए अप्रैल में मुंबई हमला मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए दो महीने की समय सीमा तय की थी। मध्य जून तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं होने पर लखवी की जमानत रद करने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि समय सीमा खत्म हुए डेढ़ महीना गुजर गया है, लेकिन लखवी की जमानत को दोबारा चुनौती देने के बारे में पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर अब तक कुछ नहीं कहा है।


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