मधेशियों की मांग पर नहीं दिया ध्यान तो हाथ से निकल जाएगा तराई : भट्टाराई
मौजूदा हालात के लिए वर्तमान सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री भट्टाराई ने कहा है कि मधेशियों की मांग पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया तो तराई क्षेत्र हाथ से निकल सकता है।
काठमांडू। मौजूदा हालात के लिए वर्तमान सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री भट्टाराई ने कहा है कि मधेशियों की मांग पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया तो तराई क्षेत्र हाथ से निकल सकता है।
उन्होंने शनिवार को कहा कि तराई क्षेत्र में आंदोलन हिंसक होता जा रहा है और बहुत देर होने पर यह हाथ से निकल सकता है। वार्ता के जरिये मधेशियों की मांग पूरी करने की सलाह देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रांतों की सीमा का फिर से निर्धारण करते ही दक्षिणी नेपाल के राजनीतिक संकट का समाधान हो जाएगा।
नया राजनीतिक दल बनाने के लिए दो महीने पहले सीपीएन-यूएमएल से अलग हुए भट्टाराई ने वर्तमान गतिरोध तोड़ने के लिए सरकार और मधेशी दलों के बीच समझौता कराने की भी पेशकश की है।
उन्होंने पूर्वी नेपाल के तीन और पश्चिमी नेपाल के दो जिलों से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं होने के लिए विपक्षी नेपाली कांग्रेस और सत्ताधारी सीपीएन-यूएमएल से संबंधित चार नेताओं के अहंकार और निजी हितों को जिम्मेदार बताया।
उन्होंने कहा कि आंदोलन और भारतीय सीमा की नाकेबंदी से नेपाल की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था को हुआ नुकसान अप्रैल में आए विनाशकारी भूकंप से हुए नुकसान की तुलना में दोगुना है।
भारत और चीन के साथ संबंधों में संतुलन बनाने में भी उन्होंने सरकार को अक्षम बताया है। सीमा की नाकेबंदी को गलत बताते हुए भट्टाराई ने कहा कि घरेलू समस्या का समाधान किए बगैर भारत पर आरोप लगाना बुद्धिमानी नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने नेपाल के मौजूदा हालात पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि भारतीय सीमा की नाकेबंदी और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति रोके जाने से भूकंप के बाद से चलाए जा रहे मानवीय अभियानों पर विपरीत असर पड़ सकता है।
उन्होंने आंदोलनकारियों से नाकेबंदी हटाने की अपील की है। साथ ही सभी पक्षों को बातचीत के जरिये समस्या का समाधान निकालने की सलाह दी है।