अलजाइमर से जुड़े जीन की खोज
शोधकर्ताओं ने एक ऐसे जीन की पहचान कर ली है जिसके कारण अलजाइमर रोग गंभीर स्तर तक पहुंच जाता है। अलजाइमर एक 'भूलने की बीमारी' है जिसमें व्यक्ति की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है, वह निर्णय नहीं ले पाता। उसे बोलने में भी दिक्कतें आने लगती हैं। कनाडा के साइमन फ्राजर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह जीन एमिलॉयड ब
टोरंटो। शोधकर्ताओं ने एक ऐसे जीन की पहचान कर ली है जिसके कारण अलजाइमर रोग गंभीर स्तर तक पहुंच जाता है। अलजाइमर एक 'भूलने की बीमारी' है जिसमें व्यक्ति की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है, वह निर्णय नहीं ले पाता। उसे बोलने में भी दिक्कतें आने लगती हैं।
कनाडा के साइमन फ्राजर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह जीन एमिलॉयड बीटा नाम के प्रोटीन को प्रभावित करता है। यह प्रोटीन मनुष्य में मस्तिष्क की बीमारी अलजाइमर को धीरे धीरे मजबूत करता जाता है। यह जीन एक ऐसा प्रोटीन तैयार करता है जो अंतर कोशिकीय संचालन के लिए महत्वपूर्ण होता है। मस्तिष्क की हर कोशिका आंतरिक प्रणाली के इस्तेमाल से मॉलिक्युलर संकेत भेजती है, जो विकास, संचार और जीवन के लिए आवश्यक होते हैं। इस प्रणाली के अव्यवस्थित होने से एमिलॉयड बीटा की प्रक्रिया में कमी आती है जिससे एमिलॉयड प्लेक का निर्माण होता है। यह प्लेक अलजाइमर बीमारी का प्रमुख कारण है। बायोलॉजी के सहायक प्रोफेसर माइकल सिलवरमैन ने बताया कि अलजाइमर बहुआयामी बीमारी है। जिससे कुछ दशकों बाद व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र में समस्याएं पैदा होने लगती है। कई अन्य बीमारियों की तरह अलजाइमर के भी अनुवांशिक घटक होते हैं। हालांकि कई पर्यावरणीय और जीवनशैली से जुड़े कारक भी इसका कारण हो सकते हैं। इस जीन की खोज से अलजाइमर के उपचार के नए रास्ते खुल सकते हैं साथ ही इस रोग का शुरुआती चरणों में ही पता लगाया जा सकेगा। यह शोध प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।