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आपदाग्रस्त नेपाल हुआ भारत की मदद का मुरीद

माओवादी आंदोलन के बाद संभलते नेपाल को प्रकृति ने गहरा जख्म दिया है। सोनौली से पोखरा तक के लंबे रास्ते पर चाहे गांव हों या कस्बे, हर तरफ तबाही का एक सा नजारा है। दूर संचार सेवाएं ठप हैं। राहत दल के सदस्य अभी शहरों में ही पहुंच पाए हैं।

By manoj yadavEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2015 08:49 AM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 09:06 AM (IST)
आपदाग्रस्त नेपाल हुआ भारत की मदद का मुरीद

मुगलिंग (नेपाल), [विश्वदीपक त्रिपाठी]। माओवादी आंदोलन के बाद संभलते नेपाल को प्रकृति ने गहरा जख्म दिया है। सोनौली से पोखरा तक के लंबे रास्ते पर चाहे गांव हों या कस्बे, हर तरफ तबाही का एक सा नजारा है। दूर संचार सेवाएं ठप हैं। राहत दल के सदस्य अभी शहरों में ही पहुंच पाए हैं। इस रूट के गांवों से संपर्क पूरी तरह से कटा है।

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पोखरा के रास्ते में त्रिसुली नदी पर्यटकों को खूब लुभाती है। पर्यटक इसके तटों पर खड़े होकर सेल्फी लेते हैं, लेकिन अब यहां पूरी तरह वीरानी है। नजारा ऐसा जैसे नदी का वैभव छिन गया हो। समूचे रास्ते पर भूकंप से मिला दर्द साफ महसूस किया जा सकता है। सड़क के किनारे के गांवों और कस्बों में मातमी सन्नाटा पसरा है। उदास लोगों को मदद की दरकार है। यद्यपि तराई के जिलों में बड़ा नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन देश का दर्द यहां भी लोगों की आंखों में आंसू बनकर छलक रहा है।

महेशपुर, नवलपरासी, भैरहवा, बुटवल से लेकर नारायणघाट तक लोग शोक में डूबे दिखे। दहशत का आलम यह है कि लोग दिन और रात सड़कों पर बिता रहे हैं। नवलपरसी के पास के रामपुरवा गाविस के दिल बहादुर थापा बताते हैं कि हर नेपाली के जेहन में दुख और दहशत है। सिर्फ एक ही बात मन में आ रही है कि कही फिर से न कांप उठे धरती। वह इस आपदा में भारत से मिली मदद की खूब तारीफ करते हैं। कहते हैं कि भूकंप से तबाह नेपाल को जिस तरह भारत की सरकार और वहां के लोगों ने सहायता पहुंचायी है उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते।

महेशपुर के विष्णु थापा भी तीन दिन से परिवार सहित खुले आसमान के नीचे रात समय बिता रहे हैं। बातचीत में उनका दर्द छलक पड़ता है। कहते हैं कि आपदा से जूझ रहे नेपाल को यदि भारत की मदद समय से न मिलती तो न जाने क्या होता। चुन्नी माया बताती है कि भूकंप ने हमारे परिवार की खुशियां छीन ली है। कई रिश्तेदार पोखरा और काठमांडू के पहाड़ों पर रहते थे, जो मकानों के मलबे में दब गए।

भारत ने निभाया बड़े भाई का फर्ज

बाबूराम पांडेय इसे नेपाल की सबसे बड़ी त्रसदी बताते हैं। वह कहते हैं इस दुख से उबरने में नेपाल को काफी वक्त लगेगा। उन्हें इस बात का संतोष है कि मुसीबत के समय भारत ने नेपाल के साथ बड़े भाई जैसा संबंध निभाया है। अंबिका प्रसाद श्रेष्ठ कहते हैं, इस समय नेपाल मुश्किल दौर से गुजर रहा है। धर्म कुमारी को भारत से बड़ी उम्मीद है। कहती हैं कि इस मुश्किल घड़ी में लोगों का आंसू पोछने वाला भारत ही है। नारायणी श्रेष्ठ, पूर्णिमा पांडेय, राधा देवी जैसी अनेक गृहणियों की आंखों में दर्द साफ दिखता है।

20 रुपये का पानी दो सौ में बेच रहे व्यापारी

मुगलिंग में भी लोगों को समय से भोजन व पानी के लिए जूझना पड़ रहा है। खाद्यान्न एवं अन्य जरूरी सामान की आवक अपेक्षा के अनुरूप न होने से मुगलिंग सहित आसपास के कस्बों एवं सड़क के किनारे के गांवों में खाने-पीने के सामान के भाव आसमान छू रहे हैं। स्थानीय दुकानदार 15 से 20 रुपये के पानी की बोतल का दाम दो सौ रुपये तक वसूल रहे हैं।

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