रोहिंग्या मुस्लिमों पर अत्याचार रोके संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र। इस्लामिक देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून से म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोकने की अपील की है। सैन्य शासन की समाप्ति के बाद हुए राजनीतिक सुधारों को लेकर बौद्ध बहुल म्यांमार की जो छवि दुनियाभर में बनी थी, उसे इस साल की शुरुआत में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद काफी नुकसान पहुंचा है।
संयुक्त राष्ट्र। इस्लामिक देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून से म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोकने की अपील की है। सैन्य शासन की समाप्ति के बाद हुए राजनीतिक सुधारों को लेकर बौद्ध बहुल म्यांमार की जो छवि दुनियाभर में बनी थी, उसे इस साल की शुरुआत में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद काफी नुकसान पहुंचा है।
आर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कारपोरेशन [ओआइसी] कंट्रीज के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत ने कहा कि इस वैश्विक संस्था को रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्याय के खिलाफ म्यांमार सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में सऊदी अरब के राजदूत अबदुल्ला अल मौलेमी ने कहा, 'इस समय म्यांमार के दुनिया भर के देशों के साथ अच्छे संबंध बन रहे हैं, लेकिन ये संबंध मुस्लिम समुदाय के लोगों के शवों पर चलकर तैयार किए जा रहे हैं।' ओआइसी के सदस्य मौलेमी और अन्य राजदूतों ने बुधवार को बान की मून से मुलाकात कर रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा कदम उठाए जाने की मांग की।
गत मार्च में मध्य म्यांमार में हुए सांप्रदायिक दंगों में कम से कम 44 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान थे। पिछले साल म्यांमार के पश्चिमी राज्य राखिने में हुई जातीय हिंसा में 200 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक लाख 40 हजार विस्थापित हो गए थे। म्यांमार में बहुसंख्यक बौद्ध रोहिंग्या मुसलमानों को देश का नागरिक नहीं मानते हैं। सरकार भी यहां रहने वाले आठ लाख रोहिंग्या समुदाय के लोगों को पड़ोसी देश बांग्लादेश से आया अवैध प्रवासी मानती है।
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