द. अफ्रीका में गांधी की 1913 की मार्च हुई ताजा
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By Edited By: Updated: Wed, 04 Dec 2013 07:29 PM (IST)
जोहानिसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका में 1913 में महात्मा गांधी द्वारा भेदभावपूर्ण कानूनों के खिलाफ निकाले गए मार्च को एक शताब्दी होने के उपलक्ष्य में वहां के सैकड़ों लोगों ने इस ऐतिहासिक क्षण को फिर से जिया।
इस ऐतिहासिक घटना के रास्ते पर एक विशेष ट्रेन चलाई गई जो डरबन से न्यूकैसल तक पीटरमैरिट्सबर्ग, लेडीस्मिथ सहित अन्य शहरों से गुजरी। डरबन से न्यूकैसल पहुंचने के लिए रात्रि दो बजे सैकड़ों की संख्या में लोगों ने अपनी यात्रा शुरू की। जहां उन्हें रविवार दोपहर डेढ़ बजे मार्च में हिस्सा लेना था। छह किमी का यह मार्च चार्ल्सटाउन से वोल्करस्ट जेल के ऐतिहासिक रास्ते से गुजरा जिस पर गांधी और उनके अनुयायी भेदभावपूर्ण कानूनों के खिलाफ चले थे। गांधी ने जिन कानूनों का विरोध किया था उनमें भारतीय अनुबंधित श्रमिकों पर तीन पौंड का कर लगाना भी शामिल था। गांधी के मार्च में शामिल प्रदर्शनकारियों ने तत्कालीन नटाल प्रांत से ट्रांसवाल प्रांत में प्रवेश कर गिरफ्तारियां दी थी। उस समय नटाल प्रांत से ट्रांसवाल प्रांत में भारतीयों के प्रवेश पर रोक लगी थी और उन्हें उसके लिए सरकार को इजाजत लेनी होती थी। पढ़ें : राष्ट्रपिता से संबंधित कुछ अनछुए पहलू रविवार को आयोजित मार्च में भारत के उच्चायुक्त वीरेंद्र गुप्ता ने हिस्सा लिया और रैली को संबोधित भी किया। इस मौके पर भारतीय उच्चायुक्त की ओर से इस ऐतिहासिक मार्च की वोल्करस्ट जेल की उस कोठरी में प्रदर्शनी लगाई गई जिसमें 1913 में गांधी जी को बंद किया गया था।
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