एक मशीन पहचान लेगी नकली दवा
आने वाले दिनों में आम लोग भी नकली दवाओं को आसानी से पहचान लेंगे। भारतवंशी समेत शोधकर्ताओं का दल एक सस्ता और छोटा उपकरण बना रहा है, जो नकली दवा की पहचान में कारगर होगा।
वाशिंगटन । आने वाले दिनों में आम लोग भी नकली दवाओं को आसानी से पहचान लेंगे। भारतवंशी समेत शोधकर्ताओं का दल एक सस्ता और छोटा उपकरण बना रहा है, जो नकली दवा की पहचान में कारगर होगा।
इस खास उपकरण के जरिये गलत लेबल लगी और नकली दवाओं की पहचान संभव होगी। यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के स्वरूप भूनिया और उनके साथियों ने प्रायोगिक परीक्षण के लिए यह खास उपकरण बनाया है। अमेरिका की केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर सौम्यजीत मंडल ने कहा, 'ऑप्टिकल स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी तकनीकों की तुलना में यह सरल और सस्ता उपकरण है। यह बिना किसी प्रयोगशाला जांच के सीधे उपभोक्ता को दवा के नकली या असली होने की जानकारी दे सकता है।' उल्लेखनीय है कि विकासशील देशों में नकली दवाओं का कारोबार चिंता का विषय बना हुआ है। यहां तक कि विकसित देश भी इनसे पूरी तरह अछूते नहीं हैं।
कैसे करता है काम
हर दवा विभिन्न रसायनों के उचित अनुपात से बनती है और हर रसायन के नाभिक से न्यूक्लियर क्वाड्रपोल रेजोनेंस (एनक्यूआर) सिग्नल निकलते हैं। यह उपकरण इसी एनक्यूआर सिग्नल के आधार पर दवा में उपस्थित रसायनों का अनुपात पता लगाता है। उपकरण से प्राप्त नतीजों का मिलान ऑनलाइन क्लाउड पर उपलब्ध दवा के घटकों के अनुपात से या सीधे उसके बारकोड से मिली जानकारी से किया जाता है। नतीजों में समानता नहीं होना दवा के नकली होने का प्रमाण होता है।