कश्मीर मुद्दे को जिंदा रखना चाहती है पाकिस्तानी सेना
पाकिस्तान की सेना नहीं चाहती कि कश्मीर समस्या का समाधान निकले। एक अमेरिकी जानकार का कहना है कि कश्मीर की समस्या का समाधान होने से पाकिस्तानी सेना के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा हो जाएगा। देश में उनका राजनीतिक दखल भी खत्म हो जाएगा।
वाशिंगटन। पाकिस्तान की सेना नहीं चाहती कि कश्मीर समस्या का समाधान निकले। एक अमेरिकी जानकार का कहना है कि कश्मीर की समस्या का समाधान होने से पाकिस्तानी सेना के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा हो जाएगा। देश में उनका राजनीतिक दखल भी खत्म हो जाएगा।
'फाइटिंग टू द एंड : द पाकिस्तानी आर्मीज वे ऑफ वार' नामक किताब की लेखिका सी. क्रिस्टीन फेयर ने कहा, 'वे [पाकिस्तानी सेना] कश्मीर मसले पर कोई समझौता करने नहीं जा रहे। सेना ऐसे किसी कदम को कैसे समर्थन दे सकती है, जिससे उसकी खुद की राजनीति खतरे में पड़ जाए? मुझे लगता है कि भारत अगर सबसे बेहतर कुछ सोच सकता है तो वह है यथास्थिति का कोई तरीका।' फेयर ने चेतावनी के लहजे में कहा कि पाकिस्तानी सेना दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच बन रहे सौहार्द्र के माहौल को खराब करने के लिए फिर कुछ कदम उठा सकती है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से हुई द्विपक्षीय वार्ता से दोनों देशों के बीच शांति के लक्षण नजर आ रहे हैं।
फेयर ने कहा, 'सेना नवाज शरीफ के प्रयासों में सेंध लगा सकती है। इसके लिए उन्हें कुछ खास नहीं करना होगा, सिर्फ लश्कर-ए-तैयबा का एक हमला करवाना होगा। मुझे इस बातचीत से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है।' उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ाना चाहते हैं लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं है कि वो जिहादी समूहों के कारोबार को बंद करना चाहते हैं। अपनी किताब में फेयर ने लिखा है कि कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच का विवाद आसानी से नहीं कम हो सकता है। कश्मीर पर सिर्फ सीमा विवाद नहीं है। उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तान का लक्ष्य न केवल वहां की यथास्थिति को कमजोर करने का है, बल्कि वहां भारत की स्थिति को कमजोर करना भी है। इस काम में उसे बहुत से सैनिकों की जान गंवानी पड़ सकती है, लेकिन वो भारत को आसानी से स्वीकार नहीं सकता। ऐसा करना पाकिस्तानी सेना के लिए पूरी तरह हार जैसा होगा।