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सरनेम की जंग हार गईं जापान की महिलाएं

जापान की सुप्रीम कोर्ट ने अपने सरनेम की लड़ाई लड़ रही महिलाओं को झटका दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें मांग की गई थी कि शादी के बाद महिलाओं को अपना सरनेम रखने की छूट मिले।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2015 07:50 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2015 07:56 PM (IST)
सरनेम की जंग हार गईं जापान की महिलाएं

टोक्यो। जापान की सुप्रीम कोर्ट ने अपने सरनेम की लड़ाई लड़ रही महिलाओं को झटका दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें मांग की गई थी कि शादी के बाद महिलाओं को अपना सरनेम रखने की छूट मिले। इस तह कोर्ट ने 1896 से लागू व्यवस्था को बहाल रखा है।

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क्या है मामला

महिलाएं चाहती थीं कि शादी के बाद उन्हें अपना सरनेम बदलने के लिए बाध्य न किया जाएगा। इस संबंध में पांच महिलाओं ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए मुआवजे की मांग की थी। पेशे से अनुवादक कारोई ओगुनी की दलील थी कि यह नियम अलोकतांत्रिक है। इससे शादीशुदा जोड़े के मानवाधिकार का हनन होता है। बकौल ओगुनी, पति का सरनेम अपनाने के बाद महिलाएं अपनी असली पहचान गंवा देती हैं। समाज में उनका सम्मान घट जाता है।

एक होना चाहिए पति-पत्नी का सरनेम

  • 1896 से जारी कानून कहता है कि पति-पत्नी का सरनेम एकसमान होना चाहिए। यानी यह सरनेम पति या पत्नी में से किसी का भी हो सकता है।
  • हालांकि 96% मामलों में महिलाएं अपने पति का सरनेम अपना लेती हैं। इससे समाज में पुरूषों का प्रभाव झलकता है।
  • परंपरागत जापानी वर्तमान व्यवस्था के पक्षधर हैं। उनका कहना है, यदि पति-पत्नी को इसमें छूट दी गई तो पारिवारिक संबंध बिगड़ सकते हैं और समाज को खतरा पैदा हो जाएगा।
  • संविधान विशेषज्ञ मासाओमी तकानोरी का भी कहना है, भिन्न सरनेम होने पर पूरी सामाजिक व्यवस्था बिगड़ जाएगी।
  • वहीं दूसरे धड़े की दलील थी कि पिछली सदी के कानून में बदलाव का वक्त आ गया है। परिवारों की भूमिका पर टिप्पणी करने वाली शूसुके सेरिजावा के मुताबिक, आज दुनिया में व्यक्तिगत पहचान महत्वपूर्ण हो गई है। पृथक सरनेम एक प्राकृतिक विस्तार है।
दो नामों के कारण यूं आती है दिक्कत

वर्तमान व्यवस्था के कारण बड़ी संख्या में महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पेशेवर सेवाओं और कानूनी उपयोग के लिए बचपन से चला आ रहा सरनेम काम आता है, वहीं सरकारी दस्तावेजों में शादी के बाद वाला नाम काम आता है। इस तरह महिलाओं को दो-दो नामों से बीच जूझना पड़ता है। महिलाओं का कहना है कि दो नामों के साथ जीना इतना आसान है तो शादी के बाद पुरूष अपने सरनेम बदलना शुरू कर दें।


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