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हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में हिंसा पर उतरे जमात समर्थक

ढाका। अदालत द्वारा जमात ए इस्लामी को अवैध और असंवैधानिक घोषित किए जाने विरोध में इस कंट्टरपंथी पार्टी के समर्थक हिंसा पर उतर आए हैं। शनिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं ने कई जगह रैलियां निकाली और प्रदर्शन किए। इस दौरान जगह-जगह तोड़फोड़ के अलावा देशी बम फोड़े गए।

By Edited By: Published: Sat, 03 Aug 2013 10:10 PM (IST)Updated: Sat, 03 Aug 2013 10:14 PM (IST)
हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में हिंसा पर उतरे जमात समर्थक

ढाका। अदालत द्वारा जमात ए इस्लामी को अवैध और असंवैधानिक घोषित किए जाने विरोध में इस कंट्टरपंथी पार्टी के समर्थक हिंसा पर उतर आए हैं। शनिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं ने कई जगह रैलियां निकाली और प्रदर्शन किए। इस दौरान जगह-जगह तोड़फोड़ के अलावा देशी बम फोड़े गए।

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गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने पार्टी के धार्मिक स्वरूप के चलते न केवल इसे अवैध घोषित किया बल्कि इसके आगामी चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी है। इस्लामी पार्टी इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। पार्टी ने फैसले के विरोध में जमात ने 12 और 13 अगस्त को देशव्यापी बंद का आह्वान किया है। जमात ए इस्लामी की रैलियों के पुराने अनुभवों से डरी जनता बेहद डरी हुई है।

शनिवार को जमात और पार्टी की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर ने राजधानी ढाका में उत्पात मचाया। पुलिस ने बताया कि जमात और शिबिर के लोगों ने मोहखली फ्लाईओवर के पास धरना दिया था। बाद में इन लोगों ने लूटपाट और आगजनी शुरू कर दी। देशी बमों का भी इस्तेमाल किया गया। बोगरा में जमात कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर विस्फोटक सामग्री फेंकी। इसके बाद पुलिस को उन पर रबर की गोलियां चलानी पड़ीं। इन घटनाओं में कोई हताहत नहीं हुआ है।

बांग्लादेशी अखबारों ने हिंसा की निंदा की है। प्रथम एलो ने लिखा है कि कानूनी लड़ाई और सड़कों पर उत्पात एक साथ नहीं हो सकता। अखबार ने पार्टी के युवा नेताओं से आग्रह किया है कि वे 1971 में जमात नेतृत्व द्वारा किए गए दुष्कर्मो पर विचार करें और नई सोच के साथ आगे आएं। डेली स्टार ने लिखा है कि प्रतिबंध आवामी लीग सरकार की योजना नहीं थी। देश की राजनीतिक वास्तविकता को देखते हुए सरकार ऐसा कोई अभियान नहीं चला रही थी। मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी [बीएनपी] भी अपनी सहयोगी जमात के साथ खड़ी हो गई है। बीएनपी ने कहा कि वह किसी भी पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ है।

इस बीच, पाक जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सैयद मुनव्वर हसन ने कहा है कि अदालत का फैसला असंवैधानिक, पक्षपातपूर्ण और पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। अभी तक तथाकथित न्यायाधिकरण यह कर रहा था। अब हाई कोर्ट भी उसी के पदचिन्हों पर चल पड़ा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के बड़े बेटे साजिब वाजिद ने समकाल अखबार से कहा है कि हसन के बयान से एक बार फिर साफ होता है कि बांग्लादेश की जमात यहां की न होकर पाकिस्तान की ही है। समकाल ने लिखा है कि साजिब देश की राजनीति में उतरने के लिए अपनी अमेरिकी बीवी के साथ बांग्लादेश पहुंच चुके हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अदालत के फैसले को बांग्लादेश का अंदरूनी मामला कहकर चुप्पी साध ली।

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