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कैसे बार-बार मरकर भी फिर जिंदा हो जाता है अबू बकर अल बगदादी

आइएसआइएस चीफ बगदादी को मार गिराने का दावा अभी हाल में ही मॉस्को की तरफ से किया गया था, लेकिन अब रूस का ही कहना है कि उसके पास इसके सबूत नहीं हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 21 Jun 2017 02:25 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 05:30 PM (IST)
कैसे बार-बार मरकर भी फिर जिंदा हो जाता है अबू बकर अल बगदादी
कैसे बार-बार मरकर भी फिर जिंदा हो जाता है अबू बकर अल बगदादी

मास्को, [स्पेशल डेस्क]। अबू बकर अल बगदादी ये वो नाम है, जिसकी तलाश में अमेरिका और रूस की सेना दर-दर की खाक छान रही है। इराक से लेकर अफगानिस्तान और सीरिया में लगातार बमबारी की जा रही है। कई बार अमेरिका और रूस की तरफ से बगदादी को मार गिराने का दावा भी किया गया, लेकिन कुछ दिनों के बाद उन देशों ने बगदादी की मौत का या तो खुद ही खंडन कर दिया या फिर इस खतरनाक आतंकी संगठन की तरफ से किया गया।

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रूस ने किया था बगदादी की मौत का दावा
दरअसल, आइएसआइएस चीफ बगदादी को मार गिराने का दावा अभी हाल में ही मॉस्को की तरफ से किया गया। रूस के रक्षा मंत्रालय ने यह दावा किया कि 28 मई को किए गए उनके हवाई हमले में बगदादी और उसके 300 लड़ाके मारे गए हैं। हालांकि, अमेरिका ने उसकी पुष्टि करने से इनकार कर दिया था। अमेरिकी सेना के प्रवक्ता ने कहा था कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश सीरिया और इराक में आइएस के खिलाफ अभियान चला रहे हैं, लेकिन उन्हें बगदादी के मारे जाने की कोई सूचना नहीं है। उसके बाद अब रूस ने खुद ही मान लिया है कि अबू बकर अल बगदादी के मारे जाने के उसके पास कोई भी सबूत नहीं हैं।

कैसे मरकर जिंदा हो जाता है बगदादी
लेकिन, ऐसा पहली बार नहीं है जब बगदादी की मौत की खबर झूठी निकली हो। इससे पहले कई बार अमेरिकी सेना या फिर इराक और अफगानिस्तान के स्थानीय न्यूज चैनलों ने हवाई हमले में बगदादी के मारे जाने की खबर दी। लेकिन, वह सारे दावे अब तक झूठे निकले। इससे पहले भी कई बार हवाई हमलों में बगदादी के मारे जाने या घायल होने की खबरें आती रही हैं।

कौन है अबू बकर अल बगदादी
पूरी दुनिया को आतंक के दहशत से हिलाकर रख देनवाले आइएसआइएस सरगना अबू बकर अल बगदादी का असली और पूरा नाम है इब्राहिम अवाद इब्राहिम अली अल बदरी अल समराई। बगदादी का जन्म इराक में समारा के एक सुन्नी अरब परिवार में साल 1971 में हुआ। यह परिवार खुद को पैगंबर का वारिस मानता रहा है और बगदादी के चाचा व भाई इस्लाम के शिक्षक व प्रचारक रहे हैं। 18 साल तक बगदादी समारा में रहा फिर बगदाद के करीब तोबची चला गया। उसने बगदाद की इस्लामिक यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करते हुए इस्लामिक कल्चर और शरीयत कानून में डॉक्ट्रेट किया।

कब आतंकी बना बगदादी
बगदादी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह एक शांत लेकिन इस्लाम को कट्टरता से पालन करनेवाला शख्स है। उसने ऐसे वक़्त में जिहाद की राह पकड़ी, जब अमेरिका ने साल 2003 में इराक पर हमला कर दिया था। ऐसा माना जाता है कि बगदादी सुन्नी पीपुल्स ग्रुप के संस्थापकों में था और गुट के शरीयत कमेटी का मुखिया भी था। लेकिन, साल 2004 में बगदादी अमेरिकी सेना के हाथ लगा और उसे बगदाद के ही कैंप बुक्का में रखा गया। ऐसा माना जाता है कि इसी जेल में बगदादी दुनिया का सबसे क्रूर जेहादी बन गया और उसने अपनी सजा का इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ नफरत और शरीयत को आगे बढ़ाने में किया। बगदादी ने जेल में ही अपने इस्लामिक स्टेट का पूरा खाका तैयार कर रखा था।  

सद्दाम के शासनकाल से ही चरमपंथी जेहादी था बगदादी

कुछ लोग मानते हैं कि सद्दाम हुसैन के शासनकाल में भी वो एक चरमपंथी जेहादी था। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि चरमपंथ की ओर उसका झुकाव दक्षिणी इराक में स्थित कैंप बक्का में चार साल अमेरिकी हिरासत में रहने के दौरान हुआ। इस कैंप में अल-कायदा कमांडरों को रखा गया था।

बगदादी पर अमेरिका ने रखा है करोड़ों का ईनाम

4 अक्टूबर 2011 को अमेरिकी विदेश विभाग ने बगदादी को आतंकी घोषित कर दिया और उसे जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए किसी भी तरह की सूचना देने पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर ईनाम की घोषणा की। लेकिन, 16 दिसंबर 2016 को अमेरिका ने इस ईनाम की राशि को बढ़ाकर अलकायदा चीफ अलजावाहिरी के बराबर 25 मिलियन डॉलर राशि कर दी।

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