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मौत की सजा पाए पादरी को रिहा करे ईरान

वाशिंगटन। अमेरिका ने ईरान से उसकी जेल में करीब तीन साल से कैद एक पादरी को रिहा करने के लिए कहा है। पादरी को इस्लाम धर्म छोड़कर ईसाई बनने के लिए मौत की सजा सुनाई गई है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने सोमवार को ईरान से एक बार फिर पादरी यूसेफ नदरखानी को तत्काल रिहा करने को

By Edited By: Published: Tue, 10 Jul 2012 05:38 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2012 05:51 PM (IST)

वाशिंगटन। अमेरिका ने ईरान से उसकी जेल में करीब तीन साल से कैद एक पादरी को रिहा करने के लिए कहा है। पादरी को इस्लाम धर्म छोड़कर ईसाई बनने के लिए मौत की सजा सुनाई गई है।

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अमेरिका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने सोमवार को ईरान से एक बार फिर पादरी यूसेफ नदरखानी को तत्काल रिहा करने को कहा। उत्तरी ईरान के रश्त शहर में मुस्लिम परिवार में जन्मे नदरखानी ने 19 साल की उम्र में ईसाई धर्म को अपना लिया था। वह ईरान में चर्च को संचालित करते थे। अक्टूबर, 2009 में उनके बेटे को कुरान पढ़ने के लिए मजबूर किए जाने पर उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में उन पर धर्म त्यागने का आरोप लगाया गया। एक प्रांतीय अदालत ने उन्हें दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई। उन्होंने फैसले के खिलाफ अपील की है। मामले की अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी। निचली अदालत में सुनवाई के दौरान उन्होंने अपना धर्म परिवर्तित करने से इंकार कर दिया था। उसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। शीर्ष अदालत ने भी कहा है कि अगर नदरखानी दोबारा इस्लाम धर्म अपना लेते हैं तो उनकी सजा को पलटा जा सकता है। मगर 34 वर्षीय पादरी ने इंकार कर दिया है।

शिया बहुल मुस्लिम देश ईरान का संविधान अल्पसंख्यकों को बराबरी का दर्जा देने की गारंटी देता है। ईरानी कानून में भी धर्म परिवर्तन कोई अपराध नहीं है। मगर इस्लाम छोड़कर दूसरा धर्म अपनाने वालों को ईरान में मौत की ही सजा दी जाती है। फरवरी में भी ह्वाइट हाउस ने बयान जारी करके नदरखानी को फांसी की सजा देने की कड़ी निंदा की थी। ट्विटर पर भी इसके खिलाफ मुहिम चलाई जा रही है।

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