Move to Jagran APP

अमेरिका में सम्‍मानित हुए भारतीय मूल के वैज्ञानिक व पाकिस्‍तानी मूल के डॉक्‍टर

अमेरिका के व्‍हाइट हाउस में राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने चिकित्‍सा व तकनीक जगत में उल्‍लेखनीय योगदान के लिए भारतीय मूल के राकेश जैन व पाकिस्‍तानी मूल के हुमायूं को देश का सर्वोच्‍च सम्‍मान दिया।

By Monika minalEdited By: Published: Fri, 20 May 2016 10:47 AM (IST)Updated: Fri, 20 May 2016 04:29 PM (IST)

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक व पाकिस्तानी अमेरिकी डॉक्टर को विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया है।

loksabha election banner

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल व मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के 65 वर्षीय राकेश के जैन को ट्यूमर के क्षेत्र में उनके काम और इससे जुड़ी रणनीतियों का इस्तेमाल और इंसानों में कैंसर का बेहतर ढंग से पता लगाने में, उसकी रोकथाम में और उपचार में करने के लिए नेशनल मेडल ऑफ साइंस प्रदान किया गया।

दक्षिण कोरिया की लेखिका कांग को 2016 का बुकर पुरस्कार

53-वर्षीय हुमायूं को यह पुरस्कार चिकित्सा क्षेत्र में आविष्कार, विकास और बायो-इलेक्ट्रॉनिक्स के इस्तेमाल के लिए और अंधेपन का शिकार हो चुके लोगों को आंखों की रोशनी लौटाने में मददगार रेटिना संबंधी सर्जरी के लिए दिया गया। हुमायूं मोहम्मद अली जिन्ना के निजी फिजिशियन के पोता हैं।

हुमायूं का परिवार विभाजन के बाद जालंधर से पाकिस्तान आ गया था। उनके दादाजी कर्नल इलाही बख्श पाकिस्तान के फाउंडर मोहम्मद अली जिन्ना के पर्सनल फिजिशियन थे। इसके बाद 1972 में हुमायूं का परिवार अमेरिका आ गया उस वक्त हुमायूं महज 9 वर्ष के थे। आर्गस सीरीज के रेटिना इंप्लांट्स के सह-आविष्कारक जिसका लक्ष्य अंधों को रोशनी देना था, हुमायूं यूएस नेशनल अकेडमीज ऑफ मेडिसीन व इंजिनियरिंग दोनों में ही चुने गए अब तक के एकमात्र नेत्ररोग विशेषज्ञ हैं।

व्हाइट हाउस समारोह में ओबामा ने कहा कि अपनी दादी की बीमारी से हुमायूं इस खोज के लिए प्रेरित हुए। ओबामा ने कहा, ‘जब उनकी डायबीटिज से पीड़ित दादी के आंखों की रोशनी चली गयी तब उन्होंने नेत्र रोग विशेषज्ञ बनने का ठान लिया ताकि अन्य लोगों को इससे से बचा सके।

..और वॉटसन की इस एक गेंद ने पलटा गेम और उन्हें बनाया 'मैन ऑफ द मैच'

जैन आइआइटी कानपुर से हैं, यहां से 1972 में उन्होंने केमिकल इंजिनियरिंग किया था। और इससे पहले भी उन्हें ढेरों अवार्ड मिल चुका है। हुमायूं और जैन के अलावा इस मेडल को प्राप्त करने वाले अन्य 15 प्रतिभागी थे। शुरुआत में यह 22 जनवरी को होने वाला था पर मौसम के खराबी की वजह से इसकी तारीख आगे बढ़ा दी गयी थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.