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पाक में जासूस बताकर प्रताड़ित किया गया भारतीय छात्र

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में एक भारतीय छात्र को जासूस बताकर प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है। कायदे आजम विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे जम्मू-कश्मीर के इस छात्र इशरत नावेद ने प्रोफेसर और अपने पर्यवेक्षक पर ब्लैकमेल करने, प्रताड़ित करने और धमकी देने का आरोप लगाया है। यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब कश्मीर विश्वविद्यालय ने हाल ह

By Edited By: Published: Thu, 26 Dec 2013 10:05 AM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2013 10:12 AM (IST)
पाक में जासूस बताकर प्रताड़ित किया गया भारतीय छात्र

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में एक भारतीय छात्र को जासूस बताकर प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है। कायदे आजम विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे जम्मू-कश्मीर के इस छात्र इशरत नावेद ने प्रोफेसर और अपने पर्यवेक्षक पर ब्लैकमेल करने, प्रताड़ित करने और धमकी देने का आरोप लगाया है। यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब कश्मीर विश्वविद्यालय ने हाल ही में दो पाकिस्तानी छात्रों को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया है। तीन वर्ष पहले पाकिस्तान गए इशरत नावेद का आरोप है कि उनके पर्यवेक्षक ने न सिर्फ उन्हें परेशान किया बल्कि भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल भी किया। उन्होंने मुझ पर जासूसी करने का भी आरोप लगाया। भारत में छोटी बहन की मौत होने के बाद भी उन्हें लौटने नहीं दिया गया। उनकी शिकायत के बाद भी पर्यवेक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। बायो-टेक्नोलॉजी में पीएचडी करने के लिए 2008 में पाकिस्तान गए कश्मीर के बड़गाम के रहने वाले नावेद को इस्लामाबाद की प्रतिष्ठित कायदे आजम यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला था। नावेद के मुताबिक यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर और उनके सुपरवाइजर डॉक्टर तारिक महमूद ने उसने जो बर्ताव किया, वह बयां नहीं कर सकते। नावेद के मुताबिक डॉक्टर महमूद उन्हें भारतीय जासूस बताकर लगातार ब्लैकमेल और जलील करते रहे। नावेद के मुताबिक उनकी गैरमौजूदगी में सारे रिसर्च सैंपल चुरा लिए गए। नावेद के मुताबिक उनसे अक्सर कहा जाता था कि वह एक भारतीय जासूस है, जो पाकिस्तान के खिलाफ मिशन पर भारत आया है।

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नावेद ने बताया कि उनके बेशकीमती रिसर्च सैंपल डॉक्टर महमूद ने अपने प्रिय स्टूडेंट्स में बांट दिए। उनकी पीएचडी 2011 में पूरी हो जानी थी, लेकिन उन्हें जानबूझकर दो साल लटकाया गया। नावेद ने बताया कि उन्होंने इस व्यवहार के खिलाफ यूनिवर्सिटी प्रशासन और हायर एजुकेशन कमिशन फॉर जस्टिम में शिकायत भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नावेद के मुताबिक वह 2010 से अपने घर नहीं जा पाए। इस दौरान उनकी बहन की भी मौत हो गई। नावेद के मुताबिक दिसंबर 2011 में उन्होंने सुपरवाइजर को रिसर्च पेपर सौंपे, लेकिन उन्हें जाने की इजाजत नहीं दी गई।

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