'आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ खड़ा है भारत'
वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, अलकामा 2004 में स्थापित एक जिनेवा स्थित मानवाधिकार एनजीओ है, जो कि अरब देशों में उन सभी लोगों की सहायता करता है जो संकट में हैं।
यूएन, पीटीआइ। भारत ने संयुक्त राष्ट्र परिषद द्वारा जिनेवा स्थित एक मानवाधिकार एनजीओ को परामर्शदात्री का दर्जा देने से इनकार करने के निर्णय का समर्थन किया है, जिसे संयुक्त अरब अमीरात द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) ने 26 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात द्वारा आपत्तियों के बाद फाउंडेशन अलकामा को परामर्शदात्री का दर्जा देने से इनकार करने का फैसला किया। यूएई समेत सऊदी अरब, बहरीन और मिस्र ने नौ संगठनों और नौ व्यक्तियों की एक नई सूची जारी की है, जिसे लेकर दावा किया गया है कि वे कतर द्वारा समर्थित और कथित रूप से आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं।
भारत सहित कई देशों ने इस एनजीओ की गतिविधियों को लेकर चिंता वक्त करते हुए कहा है कि वे आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ खड़ा है। भारत की प्रतिनिधि पॉलोमी त्रिपाठी ने परिषद की बैठक के दौरान कहा कि यूएई ने अलकामा के बारे में गंभीर चिंता वक्त की हैं और इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया है। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करेगा और इस तरह की चिंता को गंभीरता से लेता है। त्रिपाठी ने परामर्शदात्री स्थिति से इनकार करने के फैसले का समर्थन किया और जोर देकर कहा कि समिति के कामकाज पर आत्मनिरीक्षण की जरूरत है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए सलाहकार तंत्र में पर्याप्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, 'हमें आवेदनों की बहुत अधिक जांच-परख करने की आवश्यकता है।'
वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, अलकामा 2004 में स्थापित एक जिनेवा स्थित मानवाधिकार एनजीओ है, जो कि अरब देशों में उन सभी लोगों की सहायता करता है जो संकट में हैं, यातनाएं झेल रहे होते हैं या जिन्हें मनमाने ढंग से हिरासत में लिया जाता है।
यह भी पढ़ें: इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा में नहीं जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी