भारतीयों के स्विस बैंक खातों पर सरकार की नजर, बड़ी कार्रवाई की तैयारी
बीते महीनों में भारत ने कम से कम 20 'प्रशासनिक सहायता' से जुड़े अनुरोध स्विट्जरलैंड से किए हैं। सरकार ने इसके माध्यम से कर चुरा कर स्विस बैंक में खाता धारकों के बारे में जानकारी मांगी है।
बर्न, प्रेट्र : मोदी सरकार ने स्विस बैंकों में काला धन जमा कराने वालों का नाम जानने का प्रयास तेज कर दिया है। ऐसे खाताधारकों का ब्योरा जानने के लिए उसने हाल के महीनों में स्विट्जरलैंड सरकार को कम से कम 20 प्रशासनिक सहयोग अनुरोध पत्र भेजा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सरकार ने विदेश में काला धन जमा कराने वाले जिन संदिग्धों के बारे में जानकारी मांगी है, उनमें कम से कम तीन सूचीबद्ध कंपनियां हैं।
इसके अलावा उसने दिग्गज रियल एस्टेट कंपनी के पूर्व सीईओ, दिल्ली निवासी पूर्व नौकरशाह की पत्नी, दुबई में रहने वाले भारतीय मूल के बैंकर, हाई प्रोफाइल भगोड़े और उसकी पत्नी के खातों के बारे में भी जानकारी मांगी है। इसी क्रम में सरकार ने विदेश में रहने वाले कुछ गुजराती उद्योगपतियों के खातों का ब्योरा भी साझा करने का आग्रह किया है। संयुक्त अरब अमीरात स्थित एक होल्डिंग कंपनी के बारे में भी जानकारी मांगी गई है।सूत्र बताते हैं कि इन लोगों पर पनामा और ब्रिटिश वर्जीनिया द्वीप समेत अन्य सुरक्षित ठिकानों स्थित विदेशी कंपनियों के नाम पर स्विस बैंकों में खाता खोलने का आरोप है।
कालेधन पर सरकार का एक और कदम, भारतीय खाताधारकों की जानकारी देगा स्विस बैंक
दरअसल प्रशासनिक सहयोग अनुरोध पत्र के तहत खाताधारक के गैरकानूनी हरकतों का सुबूत देने पर जानकारी मांगने वाले देश को स्विट्जरलैंड सरकार संदिग्ध शख्स के बारे में जानकारी साझा करती है। लेकिन इससे पहले स्थानीय कानून के तहत स्विस अधिकारी संघीय गजट में इस बात को अधिसूचित कर डाटा साझा करने के खिलाफ संबंधित शख्स या कंपनी को अपील करने का आखिरी मौका प्रदान करते हैं।
पिछले हफ्ते भारत और स्विट्जरलैंड के बीच सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान को लेकर एक समझौता हुआ, लेकिन यह करार सितंबर, 2018 के बाद प्रभावी होगा। यानी स्विस बैंकों में भारतीय खाताधारकों के बारे में निर्वाध जानकारी हासिल करने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। स्विस नेशनल बैंक की ओर से जारी हालिया आंकड़े के अनुसार, 2015 के अंत तक स्विस बैंकों में भारतीय खाताधारकों के 8,392 करोड़ रुपये जमा थे, जबकि 2006 के अंत में यह धनराशि 23,000 करोड़ रुपये के करीब थी।