अंगूठे और आवाज से चलेंगे बैंक खाते
एचएसबीसी ब्रिटेन के अपने खाताधारकों के बीच बायोमीट्रिक और वॉयस ट्रैकिंग सर्विस शुरू कर रही है।
ब्रिटेन। बैंक खाते ऑपरेट करने के लिए आईडी और पासवर्ड की जरूरत आने वाले दिनों में खत्म हो सकती है। एचएसबीसी ब्रिटेन के अपने खाताधारकों के बीच बायोमीट्रिक और वॉयस ट्रैकिंग सर्विस शुरू कर रही है।
इस तरह की सेवाएं उपलब्ध कराने वाली कंपनियों का दावा है कि दो-तीन साल में बैंकिंग और इस तरह के अन्य सेक्टरों में सुरक्षा के खयाल से अधिकतर जगह आईडी और पासवर्ड के लिए यही सुविधा अपना ली जाएगी।
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एचएसबीसी की योजना दो-तीन महीने में इसे लांच करने की है। इसमें खाताधारक को अपनी आवाज रिकार्ड करानी होगी और फिंगर प्रिंट्स रजिस्टर कराने होंगे। ये आईडी और पासवर्ड- दोनों के काम आएंगे। इसमें उपभोक्ता का समय भी बचेगा। इसमें 10 सेंकेंड से 1.5 मिनट का समय लगेगा।
दरअसल, बैंकों और संवेदनशील संस्थानों को उपभोक्ताओं के पासवर्ड को लेकर काफी शिकायत रही है। एचएसबीसी ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर बताया कि अधिकतर लोग अपने पासवर्ड बार-बार नहीं बदलते इसलिए हैकिंग की आशंका रहती है। पासवर्ड भूल जाने की शिकायतें भी आम हैं।
यह नई बात नहीं
आईडी और पासवर्ड को लेकर वॉयस बायोमीट्रिक का उपयोग पहली दफा नहीं हो रहा। करीब ढाई साल पहले इस तरह की संभावना का पता चलने के बाद इसका चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। सभी एपल मोबाइल डिवाइस में टच आईडी सुविधा है।
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इस तरह की सेवा देने वाली कंपनी फर्स्ट डायरेक्ट की चीफ एक्जीक्यूटिव ट्रेसी गैराड का कहना है कि हाथ की अंगुलियों के चिह्न और आवाज हर आदमी में अलग-अलग हैं। इनकी हू-ब-हू नकल करना असंभव ही है।
आवाज की पहचान
पहचान के तौर पर बायोमीट्रिक तो अब काफी आम हो गया है, लेकिन आवाज को लेकर मन में शंकाएं उभरती रही हैं। इसकी वजह मिमिक्री भी है। फिल्म स्टार और बड़े लोगों की मिमिक्री करते हमने देखा-सुना भी है।
मगर, एचएसबीसी ने कहा है कि इसकी भी हू-ब-हू नकल नहीं हो सकती है। इसके साथ ही, अगर सर्दी-खांसी, बुखार वगैरह भी हो, तब भी आवाज की पहचान में दिक्कत नहीं होगी। इसके लिए टिपिकल स्पीकर रिक्गनीशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा।