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लंबे इंतजार के बाद पाकिस्तान में हिंदू मैरेज एक्ट को मिली संसद की मंजूरी

भारत की ही तरह पाकिस्तानी कानून में भी पहली पत्नी के होते हुए दूसरे विवाह को अपराध माना गया है। पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी वहां की जनसंख्या का करीब 1.6 फीसद है।

By Atul GuptaEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2016 06:29 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2016 10:36 PM (IST)

इस्लामाबाद, प्रेट्र । पाकिस्तान की संसद ने कई वर्षो से लंबित पड़े हिंदू विवाह विधेयक को पारित कर दिया। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में इस विधेयक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में मानवाधिकार मंत्री कामरान माइकल ने सदन के समक्ष प्रस्ताव रखा। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की प्रमुख जोहरा यूसूफ ने कहा कि शादियों के पंजीकरण से हिंदू महिलाओं को व्यापक सुरक्षा मिलेगी। एक बार शादी का रजिस्ट्रेशन होने के बाद महिलाओं को इससे जुड़े कई अधिकार स्वत: मिल जाएंगे। अब तक महिलाओं के पास अपनी शादी को साबित करने का कोई कानूनी दस्तावेज नहीं होता था। विधवाओं को भी सरकार से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ लेने में शादी का पंजीकरण काम आएगा।

विधेयक के अनुसार, 'हिदू महिला को उपेक्षा, पति के परस्त्री संबंध या 18 साल से कम उम्र में शादी किए जाने पर संबंध विच्छेद का अधिकार होगा। भारत की ही तरह पाकिस्तानी कानून में भी पहली पत्नी के होते हुए दूसरे विवाह को अपराध माना गया है। पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी वहां की जनसंख्या का करीब 1.6 फीसद है।

भारतीय कानून से कैसे है अलग

-पाकिस्तान में हिंदू विवाह अधिनियम वहां के हिंदू समुदाय पर लागू होता है, जबकि भारत में हिंदू मैरिज एक्ट हिंदुओं के अलावा जैन, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी लागू होता है।

-पाकिस्तानी कानून के मुताबिक शादी के 15 दिनों के भीतर इसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा। भारतीय कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है। इस बारे में राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं।

-पाकिस्तान में शादी के लिए हिंदू जोड़े की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गई है। भारत में लड़के की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़की की 18 साल निर्धारित है।

-पाकिस्तानी कानून के मुताबिक, अगर पति-पत्नी एक साल या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हैं और साथ नहीं रहना चाहते, तो शादी को रद कर सकते हैं। भारतीय कानून में कम से कम दो साल अलग रहने की शर्त है।

-पाकिस्तान में हिंदू विधवा को पति की मृत्यु के छह महीने बाद फिर से शादी का अधिकार होगा। भारत में विधवा पुनर्विवाह के लिए कोई समयसीमा तय नहीं है।

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