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महिलाओं को सशक्तीकरण का झांसा देकर लुभा रहा आइएस

कुछ लोगों ने बताया कि आइएस में शामिल होने वाली कई महिलाएं पश्चिमी देशों द्वारा बनाए गए लैंगिक रिवाज को भी चुनौती देना चाहती थीं।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 07 Aug 2017 07:47 AM (IST)Updated: Mon, 07 Aug 2017 07:47 AM (IST)
महिलाओं को सशक्तीकरण का झांसा देकर लुभा रहा आइएस
महिलाओं को सशक्तीकरण का झांसा देकर लुभा रहा आइएस

लंदन, पीटीआइ। खूंखार आतंकी संगठन आइएस विदेशी महिलाओं को सशक्तीकरण का झांसा देकर लुभा रहा है। एक ब्रिटिश थिंक टैंक के मुताबिक, कई महिलाएं आसानी से इस झांसे में आ जाती हैं। रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस एंड सेक्युरिटी स्टडीज की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कई महिलाओं का ब्रिटेन से जाकर आइएस में शामिल होना काफी जटिल रहा।

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रिपोर्ट की सह-लेखिका एमिली विंटरबॉथम ने कहा कि आइएस की सभी महिला सदस्यों के लिए 'जिहादी दुल्हन' शब्द का इस्तेमाल करना सही नहीं है। उन्होंने कहा, 'हमारा रिसर्च बताता है कि महिलाओं के चरमपंथीकरण को लेकर लोगों की जो राय बनी हुई है, हकीकत उससे काफी अलग है।'

उन्होंने कहा कि हमने जितने लोगों से बात की, उन्हें लगता है कि महिलाएं, पुरुषों द्वारा दिए जाने वाले लालच, सोशल मीडिया और शादी के प्रस्ताव से प्रभावित होकर आइएस में शामिल होती हैं। असल में ऐसा है नहीं। कई महिलाओं से बात करने के बाद हमने पाया कि उनकी नजर में आइएस महिलाओं के लिए सशक्तीकरण का स्रोत है। यह जानते हुए भी कि शरई कानून को मानने वाला आइएस महिलाओं पर कितने जुल्म और अत्याचार करता रहा है।

विंटरबॉथम के मुताबिक, कुछ लोगों ने बताया कि आइएस में शामिल होने वाली कई महिलाएं पश्चिमी देशों द्वारा बनाए गए लैंगिक रिवाज को भी चुनौती देना चाहती थीं। इसके जरिये वह अपने लिए एक नई पहचान बनाना चाहती थीं। महिलाओं की ऐसी सोच के पीछे नीदरलैंड और फ्रांस जैसे देशों में बुर्का पर बैन होना भी है। महिलाओं को महसूस होता था कि इन देशों में रहते हुए वह अपने धर्म को अपने तरीके से व्यक्त नहीं पा रही थीं।

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