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अब अगले साल होगी आइएनएस विक्रमादित्य की आपूर्ति

अपने बेड़े की ताकत बढ़ाने में जुटी भारतीय नौसेना को रूसी विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव के लिए और इंतजार करना पड़ेगा। समुद्री परीक्षण के दौरान इंजनों में खराबी के कारण इसकी आपूर्ति अगले साल तक के लिए फिर टल सकती है। रूसी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक 44,500 टन युद्धपोत के आठ में से तीन बायलर को खराब पाया गया। इस कारण विमानवाहक पोतों की अगले साल अक्टूबर में ही आपूर्ति संभव है।

By Edited By: Published: Mon, 17 Sep 2012 06:17 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2012 06:50 PM (IST)
अब अगले साल होगी आइएनएस विक्रमादित्य की आपूर्ति

मॉस्को। अपने बेड़े की ताकत बढ़ाने में जुटी भारतीय नौसेना को रूसी विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव के लिए और इंतजार करना पड़ेगा। समुद्री परीक्षण के दौरान इंजनों में खराबी के कारण इसकी आपूर्ति अगले साल तक के लिए फिर टल सकती है।

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रूसी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक 44,500 टन युद्धपोत के आठ में से तीन बायलर को खराब पाया गया। इस कारण विमानवाहक पोतों की अगले साल अक्टूबर में ही आपूर्ति संभव है।

रिपोर्ट के मुताबिक विमानवाहक पोत को उत्तारी रूस स्थित सेवमाश शिपयार्ड में मरम्मत के लिए ले जाया जाएगा। विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव [जिसे भारतीय नौसेना ने आइएनएस विक्रमादित्य का नाम दिया है] को पहले इस साल दिसंबर में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना था। द रशियन शिपबिल्डिंग कारपोरेशन अब इसकी मरम्मत में लगने वाले समय और खर्च का आकलन करेगी। उल्लेखनीय है कि इस युद्धपोत को भारत को 2009 में सौपा जाना था, लेकिन तकनीक दिक्कतों के कारण पिछले कुछ वर्षो में इसकी लागत बढ़ती ही गई है। भारत और रूस के बीच गोर्शकोव पोत की खरीद के लिए 2004 में समझौता हुआ था। इसको भारत को सौंपने में देरी और मरम्मत की वजहों से इस पोत का मूल्य पहले ही 9.47 करोड़ डॉलर से बढ़कर 2.3 अरब डॉलर हो गया है। इस युद्ध पोत का मूल नाम बाकू है। सोवियत संघ के टूटने के बाद इसका नाम एडमिरल गोर्शकोव कर दिया गया। इसे सोवियत नौसेना में 1987 में शामिल किया गया था।

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