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बीआरआइ पर फिर सामने आई चीन की बौखलाहट

बीआरआइ के तहत आने वाली सीपीईसी परियोजना गुलाम कश्मीर से होकर गुजरेगी। भारत इसे संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 02 Jul 2017 10:05 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jul 2017 10:05 PM (IST)
बीआरआइ पर फिर सामने आई चीन की बौखलाहट

बीजिंग, प्रेट्र। बिल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ या सिल्क रोड) पर एक बार फिर से चीन की बौखलाहट सामने आई है। सरकार की आवाज समझी जाने वाली समाचार एजेंसी शिन्हुआ में प्रकाशित लेख में भारत से बीआरआइ का हिस्सा नहीं बनने के फैसले पर विचार करने की बात कही गई है। इसमें भारत से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर पैदा रणनीतिक चिंता छोड़कर बीआरआइ में शामिल होने की दलील दी गई है।

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सिक्किम में जारी तनातनी के बीच चीन की सरकारी एजेंसी ने भारत से बीआरआइ का हिस्सा बनकर प्रतिद्वंद्वी के बजाय सहयोगी बनने का आग्रह किया है। शिन्हुआ ने 'रणनीतिक अदूरदर्शिता हो सकता है भारत का चीन फोबिया' शीर्षक से आलेख प्रकाशित की है। भारत ने मई में चीन में आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम सम्मलेन का बहिष्कार किया था। विश्लेषकों राय में चीन को इस बात का भय सता रहा है कि 1.2 अरब जनसंख्या वाले बाजार के बिना उसकी महत्वाकांक्षी परियोजना सफल नहीं हो सकेगी।

मालूम हो कि बीआरआइ के तहत आने वाली सीपीईसी परियोजना गुलाम कश्मीर से होकर गुजरेगी। भारत इसे संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। हालांकि, चीन सरकार का आधिकारिक विचार माने जाने वाले लेख में सीपीईसी का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। शिन्हुआ ने लिखा, 'भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह चीनी चिंता से आगे बढ़कर बीआरआइ के प्रभावों का सावधानी से आकलन करे। नई दिल्ली को इसके संभावित फायदों को मान्यता देते हुए मौकों को भुनाना चाहिए। भारत प्रतिद्वंद्वी होने के बजाय सहयोगी साझीदार हो सकता है।'

लेख में भारत स्थित चीनी दूतावास के उप-प्रमुख लियू जिनसोंग के बयान का भी उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा था कि एशिया का समंदर और आसमान इतना बड़ा है, जहां ड्रैगन और हाथी साथ में खुशी-खुशी रह सकते हैं। ऐसा होने पर ही एशिया का युग सच्चे अर्थो में आएगा। भारत के बहिष्कार के बाद चीन की आधिकारिक मीडिया में लगातार ऐसे लेख प्रकाशित हो रहे हैं, जिनमें भारत को बीआरआइ का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

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