ताइवान को हथियार बेचेगा अमेरिका, भड़का चीन
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हीथर नार्ट ने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने कांग्रेस को गुरुवार को ताइवान के लिए 7 प्रस्तावित सौदों के बारे में सूचित किया।
वाशिंगटन, रायटर। अमेरिका ने ताइवान को 142 करोड़ डॉलर (करीब 9192 करोड़ रुपये) के हथियार बेचने की योजना बनाई है। ट्रंप प्रशासन में इस तरह की यह पहली बिक्री है। इस कदम से चीन भड़क गया है और अमेरिका से इस सौदे को रद करने की मांग की है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हीथर नार्ट ने पत्रकारों को बताया कि ट्रंप प्रशासन ने कांग्रेस को गुरुवार को ताइवान के लिए सात प्रस्तावित सौदों के बारे में सूचित किया। इस पैकेज में रडार, हाई स्पीड एंडी रेडिएशन मिसाइल, तारपीडो और मिसाइल कल-पुर्जे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह सौदा ताइवान की आत्मरक्षा की क्षमता को बनाए रखने के लिए अमेरिकी सहायता को दर्शाता है।
हालांकि इससे 'वन चाइना' पॉलिसी को लेकर अमेरिका के दीर्घकालिक रुख पर कोई बदलाव नहीं आएगा। इस सौदे पर बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, 'वाशिंगटन से इस बिक्री को लेकर विरोध दर्ज कराया गया है। ताइवान चीन का हिस्सा है।' उधर, ताइवानी राष्ट्रपति के कार्यालय ने कहा कि इससे (हथियारों की खरीद) ताइवान का आत्मविश्वास बढ़ने के साथ शांति और स्थिरता को बनाए रखने की क्षमता बढ़ेगी।
चीन-ताइवान में तनाव
साइ इंग वेन के पिछले साल मई में ताइवान का राष्ट्रपति बनने के बाद चीन व ताइवान में तनाव बढ़ गया है। उन्होंने चीन के उस दावे को समर्थन देने से इन्कार कर दिया था कि ताइवान चीन का हिस्सा है। इस पर चीन ने पिछले साल जून में साइ प्रशासन से संपर्क निलंबित कर दिए थे। इसके बाद दिसंबर में यह तनाव चरम पर पहुंच गया जब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान की राष्ट्रपति से फोन पर बात की। इसके बाद ट्रंप ने कह दिया था कि वह 'वन चाइना' पॉलिसी से बंधे नहीं हैं। हालांकि बाद में उनके इस रुख में बदलाव आ गया।
क्या है 'वन चाइना'
ताइवान को चीन का हिस्सा मानने की नीति को 'वन चाइना' कहते हैं। करीब चार दशक से अमेरिका भी इस नीति को मान्यता देता रहा है।
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