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मलाला चूकीं, ओपीसीडब्लू को शांति का नोबेल

बालिका शिक्षा की हिमायती पाकिस्तानी लड़की मलाला इस दफा नोबेल पुरस्कार पाने से चूक गई हैं। सीरियाई संकट को लेकर हाल ही में चर्चा में रहे संयुक्त राष्ट्र समर्थित 'रासायनिक हथियार निषेध संगठन' (ओपीसीडब्लू) को इन हथियारों से दुनिया को निजात दिलाने में योगदान देने को लेकर शुक्रवार को शांति का नोबेल पुरस्कार देने की घो

By Edited By: Published: Sat, 12 Oct 2013 05:47 AM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2013 05:49 AM (IST)
मलाला चूकीं, ओपीसीडब्लू को शांति का नोबेल

ओस्लो। बालिका शिक्षा की हिमायती पाकिस्तानी लड़की मलाला इस दफा नोबेल पुरस्कार पाने से चूक गई हैं। सीरियाई संकट को लेकर हाल ही में चर्चा में रहे संयुक्त राष्ट्र समर्थित 'रासायनिक हथियार निषेध संगठन' (ओपीसीडब्लू) को इन हथियारों से दुनिया को निजात दिलाने में योगदान देने को लेकर शुक्रवार को शांति का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई।

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पढ़ें: पाक की पीएम बनना चाहती है मलाला

नोबेल समिति के अध्यक्ष तोरबजोर्न जागलैंड ने सब को चौंका देने वाले इस नाम की घोषणा करते हुए कहा, 'ओपीसीडब्लू को रासायनिक हथियार खत्म करने की व्यापक कोशिशों के चलते इस पुरस्कार के लिए चुना गया है।' पुरस्कारों के लिए चयन करने वाली जूरी ने अपने बयान में कहा है, 'रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल वाली सीरिया की हालिया घटनाओं ने इन हथियारों को हटाने की कोशिशें बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया।' कार्य शुरू करने के दस साल के अंदर इस संस्था ने 25,000 टन से ज्यादा रासायनिक हथियार नष्ट किए। वर्ष 2013 तक दुनिया में उपलब्ध 80 प्रतिशत रासायनिक हथियार नष्ट किए जा चुके हैं। हजारों टन रासायनिक हथियार अभी भी अमेरिका और रूस के पास हैं। नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा की पूर्व संध्या तक इस रासायनिक हथियार निगरानी संगठन को इस पुरस्कार के लिए प्रबल दावेदार नहीं समझा जा रहा था। पाकिस्तान में बालिका शिक्षा की हिमायत करने वाली किशोरी मलाला यूसुफजई और कांगो के चिकित्सक डेनिस मुकवेग को इस साल के पुरस्कार के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा था।

बलात्कार की शिकार महिलाओं की मदद के लिए अभियान चलाने वाले कांगो के डॉक्टर डेनिस मुकवेगे भी इस दौड़ में पीछे छूट गए। यह दूसरा साल है जब किसी संगठन को यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। बीते साल यह पुरस्कार यूरोपीय संघ को दिया गया था। 13 जनवरी 1993 को हस्ताक्षर किए गए रासायनिक हथियार संधि को लागू करने के लिए हेग आधारित ओपीसीडब्लू की स्थापना 1997 में की गई थी। हाल के समय तक गुमनामी के साये में संचालित हो रहा यह संगठन सीरिया के रासायनिक हथियारों को नष्ट किए जाने के कार्य की निगरानी करने के अपने कार्य के चलते अचानक विश्व पटल पर प्रसिद्ध हो गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत सीरिया में रासायनिक हथियारों की निगरानी का कार्य 2014 के मध्य तक पूरा किया जाना है।

ओपीसीडब्लू के करीब 30 हथियार विशेषाों की एक टीम सीरिया में मौजूद है तथा उन्होंने इन हथियारों का निर्माण करने वाले प्रतिष्ठानों को नष्ट करना शुरू कर दिया है। ओपीसीडब्लू ने मंगलवार को कहा था कि वह युद्धग्रस्त देश में निरस्त्रीकरण अभियान को मजबूती देने के लिए अपने निरीक्षकों के एक अन्य दल को भेज रहा है।

ओपीसीडब्लू संस्था को एक स्वर्ण पदक और साढ़े 12 लाख डॉलर यानी लगभग 75 लाख रुपये इनाम के तौर पर दिया जाएगा। इस पुरस्कार के लिए सबकी निगाहें मलाला पर थीं, जिन पर पिछले साल यानी 2012 में नौ अक्टूबर को तालिबान ने स्वात घाटी में उस वक्त हमला किया था जब वो अपने स्कूल से घर लौट रहीं थीं। इस हमले में मलाला बुरी तरह जख्मी हो गईं थीं और इलाज के लिए उन्होंने लंदन ले जाया गया था। फिलहाल वो अपने परिवार के साथ लंदन में रहती हैं और वहीं पढ़ाई कर रही हैं।

इस साल शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए रिकॉर्ड 259 लोगों के नामांकन आए थे, लेकिन ओपीसीडब्ल्यू संस्था ने ही बाजी मारी। सट्टेबाजों ने मलाला की जीत पर 3/5 का भाव लगाया था। इस लंबी सूची में यू2 सिंगर बूनो, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे भी शामिल थे। कांगो गणराच्य के डॉक्टर और स्त्री रोग विशेषा डेनिस मुकवेगे को भी दमदार उम्मीदवार माना जा रहा था। इसके अलावा विकीलीक्स को गोपनीय दस्तावेज उपलब्ध कराने के दोषी अमेरिकी सैनिक चेल्सी मैनिंग भी इस सूची में शामिल थे। मिस्न के कंप्यूटर वैानिक मैगी गॉर्बन भी इस दौड़ में थे। उन्होंने ईसाई नन बनने के लिए अपने शैक्षिक करियर को तिलांजलि दी व बच्चों के लिए चैरिटी स्टीफंस नाम की संस्था बनाई। रूस की पूर्व गणिता प्रोफेसर स्वेतलाना गानुशिंका का नाम भी सूची में शामिल था। उन्होंने नागरिकों की मदद के लिए अधिकार ग्रुप बनाया है।

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