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पाकिस्तान: बम धमाके में 25 की मौत, संसद के डिप्टी चेयरमैन घायल

अब्दुल हैदरी को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल उनकी हालत स्थिर है।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 12 May 2017 03:43 PM (IST)Updated: Fri, 12 May 2017 09:03 PM (IST)
पाकिस्तान: बम धमाके में 25 की मौत, संसद के डिप्टी चेयरमैन घायल
पाकिस्तान: बम धमाके में 25 की मौत, संसद के डिप्टी चेयरमैन घायल

कराची, प्रेट्र : पाकिस्तानी सीनेट के उपाध्यक्ष मौलाना अब्दूल गफूर हैदरी शुक्रवार को एक शक्तिशाली धमाके में बाल-बाल बच गए। अशांत दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत के मास्तुंग में उनके काफिले को निशाना बनाकर आत्मघाती हमला किया गया। 25 लोगों की जान लेने और 45 लोगों को जख्मी करने वाले इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने ली है। सीरिया और इराक में सक्रिय इस संगठन की मौजूदगी को पाकिस्तानी अधिकारी लगातार खारिज करते रहे हैं।

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प्रांतीय सरकार के प्रवक्ता अनवर उल हक ने बताया कि हमला उस वक्त किया गया जब एक मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद लोगों को संबोधित कर हैदरी बाहर निकल रहे थे। जिस जगह विस्फोट हुआ वह प्रांतीय राजधानी क्वेटा से करीब 70 किलोमीटर दूर है। मास्तुंग के जनसंपर्क अधिकारी मलिक जिब्रान ने बताया कि 15 से अधिक घायलों की हालत नाजुक है।

मृतकों में सीनेट के निदेशक (स्टाफ) और हैदरी के दो सहायक भी है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अब्दुल रज्जाक चीमा ने बताया कि हैदरी मामूली तौर पर घायल हुए हैं। उन्हें क्वेटा के कंबाइंड मिलिट्री अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिस कार को निशाना बनाकर हमला किया गया उसमें हैदरी मौजूद नहीं थे, लेकिन धमाके के कारण उनकी गाड़ी को भी काफी नुकसान पहुंचा।समा टीवी को हैदरी ने बताया, मैं जिंदा हूं। अल्लाह ने मेरी जिंदगी बचाई। विस्फोट अचानक हुआ जिससे खिड़की के शीशे टूट कर मुझे लग गए। ड्राइवर और मेरे आगे बैठे अन्य लोग बुरी तरह घायल हुए हैं।

बेकसूर लोगों की जान जाने पर मुझे खेद है। हमले की प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान, सीनेट अध्यक्ष रजा रब्बानी आदि ने कड़ी निंदा की है। मौलान फजलुर रहमान के जमात उलेमा ए इस्लाम फैजल से हैदरी जुड़े हुए हैं। मारे गए ज्यादातर लोग इसी पार्टी के कार्यकर्ता हैं। फजलुर रहमान ने हमले की निंदा करते हुए कहा है कि पार्टी नेताओं को निशाना बनाकर किया गया यह पहला हमला नहीं है। 2011 और 2014 में रहमान भी जानलेवा हमलों में बाल-बाल बच गए थे।

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