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सशर्त स्वीडन जाने को तैयार असांजे

सिडनी। स्वीडिश वेबसाइट विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे ने स्वीडन प्रत्यर्पित किए जाने पर अमेरिका न भेजे जाने की गारंटी मांगी है। 40 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई नागरिक असांजे पर स्वीडन में दो महिलाओं ने दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। स्वीडन के अधिकारी इस मामले में उनसे पूछताछ करना चाहते हैं।

By Edited By: Published: Mon, 25 Jun 2012 03:30 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2012 03:34 PM (IST)
सशर्त स्वीडन जाने को तैयार असांजे

सिडनी। स्वीडिश वेबसाइट विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे ने स्वीडन प्रत्यर्पित किए जाने पर अमेरिका न भेजे जाने की गारंटी मांगी है। 40 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई नागरिक असांजे पर स्वीडन में दो महिलाओं ने दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न का आरोप है। स्वीडन के अधिकारी इस मामले में उनसे पूछताछ करना चाहते हैं।

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असांजे ने कहा कि वह अधिकारियों के सवालों का जवाब देने के लिए स्वीडन जाने को तैयार हैं। लेकिन उन्हें डर है कि स्टॉकहोम उन्हें अमेरिका को सौंप देगा, जहां उन्हें विकिलीक्स द्वारा सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों के कारण जासूसी और षडयंत्र के आरोपों का सामना करना पड़ेगा।

पिछले साल विकिलीक्स ने इराक और अफगानिस्तान युद्ध से जुड़े हजारों गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक किए थे, जिससे अमेरिकी सरकार को शर्मसार होना पड़ा था।

फिलहाल लंदन में एक्वाडोर दूतावास में रह रहे असांजे ने सिडनी हेराल्ड अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा कि ब्रिटेन, अमेरिका और स्वीडन क्या गारंटी देते हैं सब कुछ इसी पर निर्भर करता है। असांजे ने एक्वाडोर से राजनीतिक शरण मांगी है।

उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर अमेरिका इस बात की गारंटी दे कि विकिलीक्स के खिलाफ ग्रैंड ज्यूरी की जांच और भविष्य में किसी प्रकार की जांच नहीं करेगा। हाल ही में ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने असांजे की स्वीडन प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया था। उन्हें सशर्त जमानत मिली हुई है।

असांजे प्रत्यर्पण के खिलाफ अपने मामले को मानवाधिकार के लिए यूरोपीय संघ की अदालत में भी ले जा सकते है। इसके लिए उनके पास 28 जून तक का समय है। इसके बाद उन्हें स्वीडन प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। अपने मामले में आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड के रुख की भी असांजे ने आलोचना की।

पूर्व कंप्यूटर हैकर ने कहा कि उनका मामला गंभीर राजनीतिक मामला है और आस्ट्रेलियाई सरकार को इसे गंभीरता से सुलझाने के प्रयास करने चाहिए।

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