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पाकिस्तान के विरोध में प्रदर्शनों के साथ आजाद सिंध की मांग तेज

जीये सिंध मुत्ताहिदा महाज के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन को पाकिस्तान सरकार और सेना के दमन के बावजूद आम लोगों का भारी समर्थन भी मिल रहा है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 18 Jul 2017 08:28 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jul 2017 11:56 AM (IST)
पाकिस्तान के विरोध में प्रदर्शनों के साथ आजाद सिंध की मांग तेज
पाकिस्तान के विरोध में प्रदर्शनों के साथ आजाद सिंध की मांग तेज

इस्लामाबाद(एएनअाई)। पाकिस्तान में सिंध प्रांत के लोगों का गुस्सा अाज सड़क पर दिखा। कई छोटे-बड़े शहरों और दूसरे देशों में बसे सिंध के लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया।

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लोगों ने सिंध के अाजादी की मांग की। जीये सिंध मुत्ताहिदा महाज के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन को पाकिस्तान सरकार और सेना के दमन के बावजूद आम लोगों का भारी समर्थन भी मिल रहा है।

#WATCH: Anti Pakistan protests erupt in Sindh; demand for an independent Sindh raised. pic.twitter.com/oiSKmYMqxb

— ANI (@ANI_news) July 18, 2017

इस मार्च में महिलाओं, बच्चों और युवाओं ने भाग लिया। बता दें कि जेएसएमएम कार्यकर्ता सिंध विश्वविद्यालय (ओल्ड कैम्पस) से जिला प्रेस क्लब हैदराबाद में भारी रैली लेकर आए।

इस प्रद्रर्शन में 1948 में ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्य द्वारा लिया गया सिंध की पूर्ण स्वतंत्रता की बहाली की मांग वाले बैनर और प्लाकार्ड लाए गए। साथ ही संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानव अधिकार संगठनों से आग्रह किया कि वे पाकिस्तान को नोटिस भेजे। सिंध के अत्याचार और शोषण प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी कब्जे, शोषण के खिलाफ उत्साही नारे लगाए।

पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं सिंध के लोग

आजादी के वक्त फौजी ताकत से पाकिस्तान ने सिंध को अपने में मिला लिया था। बाद के वक्त में पाकिस्तान की राजनीति में पंजाब का दबदबा रहा। सबसे ज्यादा प्राकृतिक संसाधन होने के बावजूद सिंध के लोग गरीब से गरीब होते चले गए। यहां होने वाली तमाम आर्थिक गतिविधियों में भी सिंध के लोकल लोगों की भागीदारी नाममात्र की है। आज यह पाकिस्तान के सबसे गरीब इलाकों में से एक है।

बलूचिस्तान की तरह यहां के लोग भी खुद को पाकिस्तान का उपनिवेश यानी कॉलोनी मानते हैं। बलूचिस्तान की तरह सिंध में भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई बेहद एक्टिव है। यहां पर अब तक हजारों लोगों की रहस्यमय हालात में हत्या हो चुकी है। सिंध आजादी के आंदोलन से जुड़े सैकड़ों बुद्धिजीवी, पत्रकार और लेखक पिछले कुछ साल में या तो लापता हो गए या फिर उनके शव बरामद हुए।


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