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श्रीलंका के इंकार के बाद कराची की ओर बढ़ रही है चीनी पनडुब्‍बी

चीनी पनडुब्बी को श्रीलंका में जगह देने से इंकार किया गया तो अब यह पाकिस्‍तान की ओर बढ़ रहा है और हिंद महासागर में मौजूदगी के कारण भारत इसपर पैनी निगाह रख रहा है।

By Monika minalEdited By: Published: Sat, 13 May 2017 10:01 AM (IST)Updated: Sat, 13 May 2017 10:26 AM (IST)
श्रीलंका के इंकार के बाद कराची की ओर बढ़ रही है चीनी पनडुब्‍बी
श्रीलंका के इंकार के बाद कराची की ओर बढ़ रही है चीनी पनडुब्‍बी

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में घूम रहे चीनी पनडुब्‍बी (सबमरीन) की गतिविधि पर भारत पैनी निगाह रख रहा है जो श्रीलंका की ओर से अनुमति न दिए जाने के बाद अब कराची की ओर बढ़ रही है। इससे पहले श्रीलंका ने चीन की एक पनडुब्बी को कोलंबो के बंदरगाह में इस महीने रखने को लेकर की गई अपील को खारिज कर दी थी।

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श्रीलंका ने इस महीने चीन की ओर से कोलंबो में पनडुब्‍बी खड़ी करने के अनुरोध को खारिज कर दिया था।
बता दें कि श्रीलंका ने पिछले वर्ष अक्‍टूबर 2014 में एक चीनी पनडुब्‍बी को कोलंबो में खड़ा करने की इजाजत दी थी, जिसपर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था। हाल के वर्षों में चीन ने श्रीलंका में भारी निवेश किया है, जिससे हवाई अड्डों, सड़कों, रेलवे और बंदरगाहों को वित्त पोषण मिला है। कोलंबो बंदरगाह में ट्रांस-शिपमेंट का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा भारत से आता है। भारत अपने इस पड़ोसी देश में बढ़ते चीनी प्रभाव को लेकर श्रीलंका को अपनी चिंताओं से अवगत कराता रहा है।


 युआन वर्ग के पारंपरिक पनडुब्‍बी को भारतीय नेवी के लंबी दूरी वाले मैरिटाइम गश्ती विमान पी-81 ने उस वक्त देखा जब यह पीपल्स लिबरेशन आर्मी-नेवी (PLAN) के 26वें एंटी पायरेसी टास्कफोर्स का हिस्सा के तौर पर 19-20 अप्रैल को मलाका स्ट्रेट से गुजर रहा था। दिसंबर 2013 से नियमित रूप से PLAN की ओर से आईओआर में परमाणु क्षमता संपन्न और डीजल-इलेक्ट्रिक से चलने वाली पनडुब्बी को भेजा जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि एडेन की खाड़ी में इसका मकसद क्षेत्र में अपनी रणनीतिक पहुंच को बढ़ाना है। रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, 'अदन की खाड़ी में ऐंटी-पायरेसी की मुहिम का बहाना बनाकर पनडुब्बी को भेजा जा रहा है, लेकिन समुद्री लुटेरों के खिलाफ एक पनडुब्बी क्या भूमिका निभा सकती है?'

नेवी ने IOR में अब तक 7 चीनी पनडुब्बियों को ट्रैक किया है। सबसे पहली पनडुब्बी को दिसंबर 2013 से फरवरी 2014 के बीच देखा गया था। सूत्र ने बताया, 'दो चीनी पनडुब्‍बी परमाणु क्षमता संपन्न हैं और ये डीजल और इलेक्ट्रिक से चलती हैं। ये सभी साल में तीन-तीन महीने के लिए IOR के क्षेत्र में आते हैं। वे सामान्यतः मलाका स्ट्रेट के जरिए आते हैं और सुंडा स्ट्रेट के जरिए चले जाते हैं।'

भारत आसियान देशों के साथ सैन्य सहयोग के लिए धीमा लेकिन सतत प्रयास कर रहा है। एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत आईएनएस सहयाद्री, आईएनएस शिवालिक, आईएनएस कमोर्टा और टैंकर ज्योति दक्षिण-पूर्व एशिया में तैनाती का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वहीं, 8 पी-81 विमान को समुद्री बेड़े में शामिल किए जाने से IOR क्षेत्र में नौसेना को चौकन्ना बनने में मदद मिली है। ये विमान अमेरिका के साथ 2009 में 2.1 अरब डॉलर की डील के तहत खरीदे गए थे। वहीं, 4 और पी-81 जुलाई 2019 में भारतीय नौसेना से जुड़ेंगे। इसपर 1.1 अरब डॉलर का खर्च आने का अनुमान है।

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