अमेरिका में भारतीयों के बैरी बने प्रीत
भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे के खिलाफ सख्त कार्रवाई के पीछे भारतीय मूल का ही एक शख्स जिम्मेदार है। ये हैं न्यूयार्क में तैनात अमेरिकी अटार्नी प्रीत भरारा। उनकी पहचान एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभरी है जो खास तौर पर भारतीयों के पीछे पड़ा रहता है। उनके बारे में यह धारणा भी है कि जब कोई भारतीय किसी नियम-कानून का उल्लंघन करते पाया जाता है तो वह उसके खिलाफ कुछ ज्यादा ही सख्त रवैया अपनाते हैं।
नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागडे के खिलाफ सख्त कार्रवाई के पीछे भारतीय मूल का ही एक शख्स जिम्मेदार है। ये हैं न्यूयार्क में तैनात अमेरिकी अटार्नी प्रीत भरारा। उनकी पहचान एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभरी है जो खास तौर पर भारतीयों के पीछे पड़ा रहता है। उनके बारे में यह धारणा भी है कि जब कोई भारतीय किसी नियम-कानून का उल्लंघन करते पाया जाता है तो वह उसके खिलाफ कुछ ज्यादा ही सख्त रवैया अपनाते हैं।
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अमेरिका में रह चुके एक पूर्व राजनयिक की मानें तो अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रीत भरारा जिस-तिस को निशाने पर लेते रहते हैं। भरारा के बारे में यह भी माना जाता है कि वह अपनी भारतीय पहचान से पीछा छुड़ाने और खुद को पक्का अमेरिका साबित करने के लिए उतावले हैं। इस मामले में उनकी तुलना बाबी जिंदल से होती है, जो ईसाई धर्म का ग्रहण कर चुके हैं। भारतीयों के प्रति प्रीत भरारा के बैर भाव के पीछे चाहे जो कारण हो, वह भारतीय मूल के कई उद्यमियों पर शिकंजा कस चुके हैं। इनमें रजत गुप्ता, अनिल कुमार, राजीव गोयल, संदीप अग्रवाल प्रमुख हैं।
फिरोजपुर, पंजाब में जन्में प्रीतिंदर सिंह के मां-बाप उनके जन्म के कुछ ही समय बाद अमेरिका चले गए थे। उनके पिता सिख और मां हिंदू हैं। 45 साल के भरारा को टाइम मैगजीन ने 2012 में दुनिया के सौ प्रभावशाली लोगों में शामिल किया था। उनके छोटे भाई विनीत भरारा एक व्यवसायी हैं। हाल में प्रीत भरारा एक स्वास्थ्य सेवा में घोटाले के आरोप में 25 रूसी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई करने के कारण चर्चा में थे। आश्चर्यजनक रूप से वह इन रूसी नागरिकों को गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। वह अमेरिकी सरकार से केवल यह अनुरोध करने तक सीमित रहे कि इन रूसी नागरिकों को अमेरिका से बाहर कर दिया जाए। रूसी नागरिकों के मामले में प्रीत ने उनके राजनयिक दर्जे का उल्लेख किया, लेकिन देवयानी के खिलाफ कार्रवाई करते समय उन्होंने उनके राजनयिक दर्जे की अनदेखी की। अपने इसी रवैये के कारण वह भारतीय राजनयिकों की आंख का काटा बन चुके हैं।
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