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Mukhtar Ansari: जब मुख्तार ने खुद को बताया- पटना के DIG का बेटा, गाड़ी घुमाकर गोलियों से दहला दिया था मुगलसराय

Mukhtar Ansari Death मुख्तार 1991 में कुछ लोगों के साथ जिप्सी से बिहार जा रहा था। इस दौरान वह मुगलसराय रेलवे पुल के नीचे रुका। इसी वक्त वहां तत्कालीन इंस्पेक्टर ननके सिंह जनवार पहुंचे। उन्हें संदेह हुआ तो उन्होंने पूछताछ की। मुख्तार ने बताया कि वह पटना के डीआइजी का बेटा है। इसके बावजूद गाड़ी में कई असलहे होने पर ननके ने दबाव बनाया और थाने चलने को कहा।

By Ashok Singh Edited By: Aysha Sheikh Published: Fri, 29 Mar 2024 11:59 AM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 11:59 AM (IST)
Mukhtar Ansari: जब मुख्तार ने खुद को बताया- पटना के DIG का बेटा, गाड़ी घुमाकर गोलियों से दहला दिया था मुगलसराय
जब मुख्तार ने खुद को बताया- पटना के DIG का बेटा, गाड़ी घुमाकर गोलियों से दहला दिया था मुगलसराय

अशोक सिंह, वाराणसी। मुख्तार अंसारी का वैसे तो पूरे पूर्वांचल में आतंक था लेकिन उसके अपराध की दुनिया के लाइम-लाइट में आने की शुरुआत वाराणसी से हुई थी। तब वाराणसी जिले में आने वाले मुगलसराय में मुख्तार ने पुलिस कर्मी की हत्या कर अपने को पूर्वांचल का अपराधी होने पर मुहर लगवा ली। मुख्तार 1991 में कुछ लोगों के साथ जिप्सी से बिहार जा रहा था। इस दौरान वह मुगलसराय रेलवे पुल के नीचे रुका।

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इसी वक्त वहां तत्कालीन इंस्पेक्टर ननके सिंह जनवार पहुंचे। उन्हें संदेह हुआ तो उन्होंने पूछताछ की। मुख्तार ने बताया कि वह पटना के डीआइजी का बेटा है। इसके बावजूद गाड़ी में कई असलहे होने पर ननके ने दबाव बनाया और थाने चलने को कहा। मुख्तार तैयार हो गया और गाड़ी लेकर पुलिस के साथ चल दिया। अचानक मुख्तार की गाड़ी ने यू-टर्न लिया। गोलियाें की तड़तड़ाहट से मुगलसराय बाजार दहल गया।

गोलीबारी में एक सिपाही की मौत हो गई। एक गंभीर रूप से घायल हुआ। फायरिंग करते मुख्तार फरार हो गया। पुलिस तब पहचान नहीं सकी लेकिन बाद में तावदार मूंछ वाले गोरे-चिट्टे युवा की मुख्तार के रूप में पहचान हुई। उसका नाम गाजीपुर से बाहर पहली बार चर्चा में आया। मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार तक बात पहुंची। मुख्तार आराेपित बना।

गाजीपुर के एसपी अरुण कुमार और बनारस के डीआइजी वीके सिंह के नेतृत्व में मुख्तार के मोहम्मदाबाद स्थित घर की कुर्की हुई। उस समय अफजाल अंसारी विधायक थे। इसके बाद मुख्तार का नाम काेयला व्यवसायी नंद किशोर रुंगटा अपहरण कांड में आया। 90 के दशक में ही बनारस कचहरी में उसने पेशी के दौरान साहब सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी। बनारस में उसका बड़ा गैंग था।

उसी के गैंग में मुन्ना बजरंगी, बाबू यादव, अन्नू त्रिपाठी आदि थे। 1995 में राजनीति में रखे कदम मुख्तार अंसारी ने 1995 में राजनीति में कदम रखा। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में मायावती की सभा में वह शामिल हुआ। इसके बाद मायावती ने 1996 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार को घोसी सीट से कल्पनाथ राय के सामने मैदान में उतारा। वह तब से लगातार राजनीति में सक्रिय रहा।


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