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बिहारः कानून मंत्री किरण रिजिजू ने बताया मुकदमों का बोझ कम करने का समाधान, कहा-इससे आम आदमी को मिलेगा न्याय

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली के माध्यम से ही यह बोझ कम हो सकता है। उन्होंने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद आज भी देश के सभी स्तर के न्यायालयों में चार करोड़ 80 लाख मामले लंबित हैं।

By JagranEdited By: Akshay PandeyPublished: Sat, 24 Sep 2022 09:14 PM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 09:14 PM (IST)
बिहारः कानून मंत्री किरण रिजिजू ने बताया मुकदमों का बोझ कम करने का समाधान, कहा-इससे आम आदमी को मिलेगा न्याय
गांधी मैदान स्थित बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करते न्यायाधीश व केंद्रीय मंत्री।

राज्य ब्यूरो, पटना : केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने लंबे समय तक बड़ी संख्या में मुकदमों के लंबित रहने पर चिंता जताते हुए कहा है कि वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली के माध्यम से ही यह बोझ कम हो सकता है। आम आदमी को न्याय मिल सकता है। उन्होंने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद आज भी देश के सभी स्तर के न्यायालयों में चार करोड़ 80 लाख मामले लंबित हैं। रिजिजू ने कहा कि न्यायाधीश, अधिवक्ता और सरकार के स्तर पर इस संबंध में गंभीर प्रयास जरूरी है। 10 से 15 साल तक मुकदमे लंबित रहें, यह उचित नहीं। वे शनिवार को यहां बार काउंसिल आफ इंडिया की ओर से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूयू ललित और सर्वोच्च न्यायालय और पटना उच्च न्यायालय के कई न्यायाधीश शामिल हुए। कार्यशाला में हजारों की संख्या में वकीलों ने भी हिस्सा लिया। 

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लोग देख रहे हैं, बार और बेंच के बारे में राय बना रहे

केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि अब सुनवाई आनलाइन भी हो रही है। लोग अदालती कार्यवाही को देखते हैं। इस आधार पर वह लोग बार और बेंच के बारे में अपनी राय बना सकते हैं। सर्वोच्च से लेकर निचली अदालतों तक में वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली की शुरुआत हो तो मुकदमों की संख्या कम हो जाएगी। केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि उच्च न्यायालय की कार्यवाही की आनलाइन स्ट्रीमिंग (इंटरनेट से सीधा प्रसारण) के कारण वकीलों के साथ-साथ न्यायाधीशों का आचरण भी सार्वजनिक जांच के दायरे में है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं के आचरण पर हर पांच साल में वोट के माध्यम से परीक्षा होती है। आज की डिजिटल दुनिया में बार और बेंच के कार्यों को जनता की राय से परखा जाएगा। इस संबंध में ध्यान देना होगा कि कोई खामी न रहे। 

बुनियादी ढांचे के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और मुख्यमंत्री मिलकर करें काम 

देश की निचली अदालतों में बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण किया गया है। वकीलों के बैठने के लिए कमरे और महिला अधिवक्ताओं के कामन रूम बनाए गए हैं। इस मद में केंद्र सरकार पहले ही नौ हजार करोड़ रुपये की बड़ी राशि दे चुकी है। उन्होंने कहा कि  ज्य के मुख्यमंत्री और संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के बीच समन्वय की कमी के कारण न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दी गई केंद्रीय निधि अनुपयोगी हो जाती है।  केंद्रीय कानून मंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वे केंद्र द्वारा दी गई विकास निधि की राशि के उपयोग के लिए संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करें। कानून मंत्री ने आग्रह किया राज्यों के मुख्यमंत्री उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ समन्वय में फास्ट ट्रैक अदालतों को भरने का प्रयास करें। वर्तमान में 1800 फास्ट ट्रैक कोर्ट में से केवल 892 काम कर रहे हैं। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को एक टीम की तरह देश के कल्याण के लिए काम करना होगा। आधुनिक तकनीक, हाईकोर्ट और वकील के सहयोग से मुकदमों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

स्वतंत्रता आंदोलन में वकीलों की भूमिका से प्रेरणा लें : यूयू ललित

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने कहा कि केवल अधिवक्ता के पास ही एक ऐसा गुण होता है, जिससे वह किसी महान उद्देश्य और जनता के हितों के लिए अपनी बातों को मनवा सकता है। उन्होंने सभी युवा वकीलों से अनुरोध किया कि वे सभी प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानियों के गुणों से प्रेरणा लें, जो वकील थे। पटना के गांधी मैदान स्थित बापू सभागार में सीजेआई ने वहां मौजूद सुप्रीम कोर्ट के जज, हाईकोर्ट के जज एवं अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए बिहार की जनता के जज्बे को सलाम किया और कहा इतना प्यार न तो मैंने देखा। उन्होंने बापू सभागार के संरचनात्मक डिजाइन की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह पहली बार इतनी संख्या में अधिवक्ताओं को देख रहे हैं। इससे पहले उन्होंने दस हजार अधिवक्ताओं को एक साथ ऐसे कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि केवल वकीलों में ही आम लोगों से जुड़े मुद्दे को उठाने की ताकत है। बार काउन्सिल आफ इंडिया और बिहार राज्य बार काउंसिल द्वारा संयुक्त रूप से पटना के बापू सभागार में समाज निर्माण में वकीलों का योगदान विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया था।

बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि महिला अधिवक्ताओं की दशा बुरी है। कोर्ट में महिला अधिवक्ताओं की भागीदारी काफी कम है। उन्होंने ने कहा कि वकीलों के साथ गलत व्यवहार और हत्याओं की काफी घटनाएं होती है। इसके लिए एडवोकेट एक्ट को प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय कौल, न्यायाधीश एमआर शाह, न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायाधीश जेके माहेश्वरी, न्यायाधीश एमएम सुंदरेश और पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने भी सेमिनार को संबोधित किया।


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