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गांधी परिवार के बिना पीलीभीत में कांटे की टक्कर, संतोष गंगवार का टिकट कटने का भी असर; पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

टाइगर रिजर्व और बांसुरी के लिए प्रसिद्ध पीलीभीत के चुनावी रण में साढ़े तीन दशक बाद भाजपा का ‘गांधी परिवार’ नहीं है। मेनका और फायर ब्रांड नेता वरुण गांधी के चुनाव मैदान में न उतरने से सपा को अपनी राह आसान दिखाई दे रही है वहीं भाजपा प्रत्याशी के बजाय ‘मोदी-योगी’ के नाम और काम के सहारे ‘कमल’ खिलने के प्रति आश्वस्त है। राज्य ब्यूरो प्रमुख अजय जायसवाल की रिपोर्ट...

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Published: Wed, 17 Apr 2024 10:26 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2024 10:26 AM (IST)
गांधी परिवार के बिना पीलीभीत में कांटे की टक्कर, संतोष गंगवार का टिकट कटने का भी असर; पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट
गांधी परिवार के बिना पीलीभीत में कांटे की टक्कर, संतोष गंगवार का टिकट कटने का भी असर; पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

अजय जायसवाल, लखनऊ। (Pilibhit Lok Sabha Election) उत्तराखंड सीमा से सटी पीलीभीत संसदीय सीट पर मेनका संजय गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का दबदबा रहा है। यहां से छह बार खुद मेनका और दो बार वरुण सांसद चुने गए हैं। अब बदली चुनावी बिसात पर भाजपा के जितिन प्रसाद और सपा के भगवत सरन गंगवार के बीच सीधी लड़ाई दिख रही है।

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दशकों बाद यह पहला मौका है जब पीलीभीत सीट पर कांटे की टक्कर में ‘कमल की प्रतिष्ठा’ दांव पर है। सपा से गठबंधन के चलते कांग्रेस मैदान में नहीं है। बसपा ने पूर्व मंत्री अनीस अहमद खां उर्फ फूलबाबू को उम्मीदवार जरूर बनाया है, लेकिन मुस्लिम समाज को लगता है कि ‘कमल’ को ‘हाथी’ नहीं ‘साइकिल’ ही टक्कर दे सकती है।

भाजपा के साथ पूर्व राज्यमंत्री हेमराज वर्मा

योगी सरकार में लोक निर्माण मंत्री और भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद शाहजहांपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। वह यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पिछले चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से चुनाव लड़े पूर्व राज्यमंत्री हेमराज वर्मा अब भाजपा के साथ हैं।

माना जा रहा था कि भाजपा हेमराज को चुनाव लड़ाएगी, लेकिन जिस तरह से पार्टी ने जितिन को प्रत्याशी बनाया, वह चर्चा का विषय है। प्रतिद्वंद्वी सपा नेता भी इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

जितिन प्रसाद को लेकर क्या कहती है पीलीभीत की जनता

डढ़िया बिसौढ़ी के रवि वर्मा कहते हैं, ‘जितिन को यहां जानता ही कौन है?’ तो दूसरी ओर खेती करने वाले सरदार बलकार सिंह, लखविंदर, गुरमीत आदि कहते हैं, ‘योगी सरकार से हमें गुंडागर्दी और चोरी से बड़ी राहत मिली है।’

बीसलपुर में मिठाई व्यापारी सागर गुप्ता कहते हैं कि वरुण के न होने का असर है, लेकिन मोदी-योगी के कामकाज का उससे कहीं ज्यादा प्रभाव मतदाताओं पर है। दवा कारोबारी अजहर को शिकायत है कि जानबूझकर वोटर लिस्ट से मुस्लिम मतदाताओं के नाम काट दिए जाते हैं या फिर गलत लिखे जाते हैं ताकि वे वोट ही न दे पाएं। उनके ही घर के दो-तीन लोगों के नाम सूची में नहीं हैं।

दूसरी तरफ न्यूरिया की बंगाली कॉलोनी के सुखदेव, ममता सरकार, रितेश, राधा मलाकार आदि बेझिझक कहते हैं कि भले ही कांग्रेसी सरकार ने उन्हें यहां बसाया, लेकिन अब वे सब मोदी के ‘कमल’ को ही वोट देते हैं।

माधौटांडा के गोपाल और निशार खां कहते हैं कि यहां ‘साइकिल’ या ‘कमल’ को देखकर वोट डाले जाते हैं। वंचित समाज से आने वाले राकेश बताते हैं कि अब बहनजी का कहीं जोर नहीं है।

जमुनिया के अजय सिंह मोदी-योगी की तारीफ करते हुए कहते हैं कि पहले तो रातभर बिजली भी नहीं मिलती थी। धुंधचिहाई के इमरान कहते हैं कि अगर वरुण होते तो एकतरफा जीतते। किसान राजू सड़क पर पशुओं को दिखाते हुए कहते हैं कि खेती करना बहुत मुश्किल हो गया है।

पीलीभीत शहर के खुशीमल लाल रोड पर बांसुरी का कारोबार करने वाले वली हुसैन और मो. उस्मान बताते हैं कि पहले ट्रेन से बांसुरी के लिए असम से बिना कटा बांस मंगाना आसान था, लेकिन अब उसकी बुकिंग ही नहीं हो रही है। ट्रक से बांस मंगाना बहुत महंगा पड़ता है। उस्मान को मोदी से उम्मीद है कि उनकी समस्या की ओर ध्यान देंगे ताकि बांसुरी बनाने वालों की रोजी-रोटी चलती रहे।

सीधी लड़ाई से भाजपा को फायदे की उम्मीद नहीं

क्या मुस्लिम अपनी बिरादरी के बसपा प्रत्याशी अनीस अहमद खां को वोट देंगे? इस सवाल पर नफीस कहते हैं कि बसपा अब है कहां? मुस्लिम समाज समझता है कि मायावती ने भाजपा की मदद के लिए फूलबाबू को उतारा है, इसलिए कोई भी ‘हाथी’ का बटन दबाकर अपना वोट खराब नहीं करेगा।

वरुण के न होने से मुस्लिम समाज अखिलेश के साथ है। पूरे क्षेत्र में फूलबाबू का कहीं प्रचार होते भी नहीं दिखा। भाजपा नेताओं को लग रहा था कि सपा का मुस्लिम प्रत्याशी न होने से मुस्लिम बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार के साथ जाएंगे। ऐसे में त्रिकोणीय लड़ाई से मुस्लिम मतों के बंटवारे का उसे फायदा मिलेगा, लेकिन जिस तरह से बसपा को नकार मुस्लिम सपा के साथ दिख रहे हैं, उससे सीधी लड़ाई होने पर भाजपा को किसी तरह के फायदे की उम्मीद कम ही है।

पहली बार आए प्रधानमंत्री, सीएम ने भी कीं तीन सभाएं

पीलीभीत संसदीय सीट पर लंबे समय से भाजपा का कब्जा है। इस सीट पर पहले कभी मेनका या वरुण के लिए पार्टी का कोई प्रधानमंत्री वोट मांगने नहीं आया। जितिन को टिकट मिलने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही नहीं, तीन बार खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पीलीभीत में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए आ चुके हैं।

इतना ही नहीं, गंगवार मतों को साधने के लिए संतोष गंगवार को भी पीलीभीत में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की चुनावी रैलियों के मंच पर जगह दी गई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अपने-अपने प्रत्याशी के लिए चुनावी सभाएं की हैं।

वरुण गांधी ही नहीं, संतोष गंगवार के टिकट कटने का भी असर!

ललौरी खेड़ा में चाय पी रहे मगरासा के लोकेश गंगवार मानते हैं कि भाजपा ने खुद ही पीलीभीत सीट पर अपनी चुनौती बढ़ाई है। कहते हैं कि वरुण के साथ ही बरेली से संतोष गंगवार का टिकट काटना भाजपा को भारी पड़ सकता है।

दिलीप गंगवार कहते हैं कि जब हेमा मालिनी को टिकट मिल सकता है तब संतोष गंगवार को क्यों नहीं? न्यूरिया हुसैनपुर के रहने वाले नफीस अहमद मोदी-योगी की मुखालफत करते हुए कहते हैं कि मेनका-वरुण ने सदैव हमारा ख्याल रखा, इसलिए मुस्लिम भी ‘कमल’ का बटन दबाते रहे हैं।

वरुण, निर्दलीय लड़ते तब भी जीतते। कहते हैं कि भाजपा जीत सकती है, लेकिन टक्कर जबरदस्त होगी। गौर करने की बात यह भी है कि टिकट कटने के बाद से वरुण न पीलीभीत में दिख रहे और न ही उनका कोई बयान आया। जितिन भी अपनी नैया पार लगाने के लिए खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का दूत बताकर प्रचार कर रहे हैं।

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