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आवास की वरासत बदलने के आरोप में आइएएस अधिकारी समेत तीन पर मुकदमा

आवास की वरासत बदलने के आरोप में आइएएस अधिकारी समेत तीन पर मुकदमा

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Aug 2022 06:19 PM (IST)Updated: Tue, 16 Aug 2022 06:19 PM (IST)
आवास की वरासत बदलने के आरोप में आइएएस अधिकारी समेत तीन पर मुकदमा

आवास की वरासत बदलने के आरोप में आइएएस अधिकारी समेत तीन पर मुकदमा

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जागरण संवाददाता, बांदा : आवास की वरासत बदलने के मामले में आयुक्त के निर्देश पर आइएएस अधिकारी समेत तीन के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। तहरीर में पीड़िता का आरोप है कि जांच अधिकारी न शब्द खोजने में 13 माह का समय लगा दिया है। कूटरचित जांच की रिपोर्ट अधिकारियों के सामने पेश की गई है। विवेचना अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं।

काशीराम कालोनी निवासी रीना पत्नी राजकुमार ने मंडलायुक्त को शिकायती पत्र देकर बताया था कि करीब दस वर्ष पहले उसकी रिश्ते की सास को काशीराम कालोनी हरदौली में आवास आवंटित हुआ था। सास की मौत के बाद उसके पति ने वरासत दर्ज करने के लिए डूडा विभाग में आवेदन किया था। जिसमें वहां के कर्मचारियों ने रिपोर्ट में उन्हें अपात्र कर दिया था। जिसमें उनकी ओर से शिकायत मुख्य सचिव और सतर्कता अधिष्ठान की थी। उच्च स्तरीय आदेश पर डीएम ने मामले की जांच तत्कालीन एसडीएम सदर सुधीर गहलौत आइएएस से कराई थी। पीड़िता का आरोप है कि जनवरी माह वर्ष 2022 में की गई जांच में कूट रचित ढंग से रिपोर्ट लगाई गई है। जिसमें उसे अपात्र कर दिया गया है। आयुक्त को दिए शिकायती पत्र में उसने बताया था कि उसने फरियाद की थी न्याय की। मुझे जांच में क्रूर अन्याय मिला है। आरोप लगाया कि जांच अधिकारी बनाए गए सुधीर गहलौत ने न शब्द तलाशने में तेरह महीने का समय लगाया है। इसके बाद भी जांच रिपोर्ट सही से प्रदर्शित नहीं की गई। आयुक्त के निर्देश पर कोतवाली में एक अधिकारी व दो कर्मचारी नाम व पता अज्ञात के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है। विवेचना अधिकारी सीो सिटी ने बताया कि अधिकारियों व कर्मचारियों के बयान लिए जाएंगे। जिसके बाद सही स्थिति का पता चल पाएगा।

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जांच रिपोर्ट हाथ लगने से खुला मामला

- पीड़िता का आरोप है कि जांच निष्कर्ष जो लिखा गया है उसमें दो कर्मचारियों व एक अधिकारी को दोषी पाया गया। जनवरी वर्ष 2022 में । जिलाधिकारी बांदा को लिखा गया। पहले की जांच निष्कर्ष डीएम को भेजा नहीं गया, बल्कि 16 मार्च वर्ष 2022 को दूसरी कूटरचित जांच निष्कर्ष तैयार करके प्रार्थिया की शिकायत असत्य व निराधार करके जिलाधिकारी को भेज दिया गया है। केवल इतना ही नहीं मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट पालने वाली मुझ पात्र को अपात्र कर दिया है। पीड़िता ने साक्ष्यों से संबंधित दस्तावेज भी आयुक्त के सामने पेश किए हैं।


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