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कोर्ट में धराशायी पुलिस की कहानी, ट्रांसफार्मर से पा‌र्ट्स चोरी के आरोपित बरी

संवाद सहयोगी, जगाधरी : छछरौली थाना के चुहड़पुर कलां गांव के खेतों से ट्रांसफार्मर से तांबे की तार व

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 09:10 AM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 09:10 AM (IST)
कोर्ट में धराशायी पुलिस की कहानी, ट्रांसफार्मर से पा‌र्ट्स चोरी के आरोपित बरी

संवाद सहयोगी, जगाधरी : छछरौली थाना के चुहड़पुर कलां गांव के खेतों से ट्रांसफार्मर से तांबे की तार व अन्य सामान चोरी के मामले में पुलिस ने कोर्ट में जो भी कहानी पेश की, वह धराशायी हो गई। बिजली निगम के अधिकारी भी कोर्ट में साबित नहीं कर पाए कि आरोपित से जो सामान बरामद किया गया है, वह निगम का ही है। पुलिस ने आरोपितों के घर से सामान तो बरामद किया, लेकिन मौके का कोई गवाह नहीं बनाया गया। एडवोकेट साहिल ढांडा के मुताबिक मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजयंत सहगल की कोर्ट ने आरोपित बिलासपुर निवासी दीपक, सुल्तान सिंह व अमन कुमार को बरी कर दिया।

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यह है मामला:

19 अगस्त 2018 की रात को गांव चुहड़पुर निवासी रामपाल के खेतों से 25 केवीए ट्रांसफार्मर से तांबे की तार, लोहे की रॉड, ट्रांसफार्मर से तेल चोरी व अन्य सामान चोरी हो गया था। बिजली निगम को 13 हजार 520 रुपये का नुकसान हुआ। बिजली निगम के एसडीओ आशीष चोपड़ा की शिकायत पर पुलिस ने 31 अगस्त को अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

पुलिस कस्टडी में स्वीकार की थी वारदात:

एडवोकेट साहिल ढांडा ने बताया कि बिलासपुर पुलिस ने वर्ष 2018 में दर्ज हुई एफआइआर नंबर 183 में दीपक, सुल्तान सिंह व अमन कुमार को काबू किया था। पुलिस ने उपरोक्त अनट्रेस केस को सॉल्व करने के लिहाज से उस पर रिकवरी प्लांट कर दी। जबकि पुलिस ने दावा किया कि पूछताछ के दौरान आरोपितों ने चोरी की वारदात स्वीकार की। लेकिन पुलिस ने उस समय तथा रिकवरी के समय कोई स्वतंत्र गवाह शामिल नहीं किया। जिस कारण कोर्ट ने पुलिस की दलील को सिरे से नकार दिया। एडवोकेट के मुताबिक आरोपित एफआइआर नंबर 183 में पहले ही बरी हो चुके हैं।

देरी से दर्ज क्यों किया केस दर्ज:

केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि ट्रांसफार्मर से तांबे की तार चोरी के मामले में जब पुलिस के पास 21 अगस्त 2018 को शिकायत पहुंच गई थी, तो उसने 31 अगस्त को केस दर्ज क्यों किया। जिसका पुलिस कोर्ट में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। पुलिस के मुताबिक उन्होंने आरोपितों के घर से चार से छह किलोग्राम तार बरामद की। विद्युत निगम के अधिकारियों ने कोर्ट में तर्क दिया कि बरामद तार पर कोई विशिष्ठ चिह्न उपलब्ध नहीं था। उन्होंने स्वीकार किया कि पुलिस द्वारा बरामद तार बाजार में आसानी से मिल जाती है। कोर्ट ने पुलिस की इस कहानी पर विश्वास नहीं किया। क्योंकि वारदात के इतने दिनों बाद तक कोई चोरी के सामान को छिपा रखेगा, यह तर्क संगत नहीं है।


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