आंखों से ही वाहन की सेहत जांच लेते हैं अफसर
नई तकनीक वाले वाहनों की फिटनेस जांच का तरीका आज भी मैनुअल है।
ओम बाजपेयी, मेरठ
सड़क पर होने वाले हादसों का बड़ा प्रतिशत जर्जर वाहनों से जुड़ा है। मोटर व्हीकल एक्ट में वाहनों की फिटनेस जांच को लेकर कड़े नियम हैं। नए प्रावधानों के तहत वाहनों की फिटनेस जांच मशीनों से होनी है। पर यह सुविधा मेरठ परिवहन कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। आटोमोबाइल कंपनियां नई तकनीक के वाहन लांच कर रही हैं लेकिन परिवहन विभाग वर्षों पुरानी पद्धति पर कार्य कर रहा है।
कोरोना काल में फिटनेस के लिए प्रतिदिन 10 से 12 वाहन आ रहे हैं। अगर एक-एक वाहन की नियमानुसार जांच की जाए तो कम से कम 15 से 20 मिनट लगते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो साढ़े तीन घंटे रोजाना फिटनेस जांच में लग जाते हैं। आम दिनों में यह संख्या 15 से 18 तक रहती है। इसमें छह से सात घंटे लगना तय है। मेरठ में संभागीय निरीक्षक के चार पद हैं, जिनमें से केवल एक की तैनाती है। एक संभागीय निरीक्षक के जिम्मे वाहनों की फिटनेस जांच भी है, लर्निग और परमानेंट ड्राइविग लाइसेंस के लिए होने वाले टेस्ट की भी जिम्मेदारी उन पर है। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिटनेस आदि की जांच करने में कितनी गंभीरता बरती जा सकती होगी। यही नहीं आरआइ कार्यालय में प्रपत्रों के मिलान आदि के लिए स्टाफ भी स्वीकृत संख्या का आधा है।
यह है जांच की व्यवस्था
परिवहन कार्यालय में वाहनों की फिटनेस जांच के टिनशेड के नीचे दो पिट बने हैं। इसके अलावा न ही किसी प्रकार की मशीन है और न ही उपकरण। भौतिक निरीक्षण के दौरान स्पीड कंट्रोलर, इंडिकेटर, टायरों की स्थिति, ब्रेक की क्षमता आदि का निरीक्षण किया जाता है। ब्रेकों की क्षमता जांचने के लिए वाहनों को निर्धारित स्पीड पर चलवा कर ब्रेक लगवाया जाता है। आरआइ राहुल शर्मा ने बताया कि कोहरे का सीजन आने के चलते रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप हर वाहन में लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है।
जुगाड़, ठेले और रिक्शे के खिलाफ कार्रवाई नहीं
जुगाड़ और बिना परमिट के चल रहे ई-रिक्शा की जांच को लेकर परिवहन विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इनको सड़क पर बेरोकटोक अपने आकार से कई गुना लंबे और भारी पाइप आदि को लाद कर व्यस्त मार्गो पर चलते देखा जा सकता है।
आरटीओ प्रवर्तन राजेश कुमार सिंह ने बताया कि परिवहन विभाग केवल मोटर व्हीकल की फिटनेस जांच करता है। बिना परमिट के ई-रिक्शा, और जुगाड़ का संचालन अवैध है। इन्हें चलता पाए जाने पर नष्ट करने का प्रावधान है। हमारे पास जगह उपलब्ध नहीं है, जहां इन्हें रखा जा सके। इस कारण ट्रैफिक पुलिस ही इनके खिलाफ कार्रवाई करती है।
स्कूल बसों में फिटनेस के बिदु
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर स्कूल बसों में फिटनेस के दौरान 22 बिदुओं की जांच की जा रही है। ये हैं मुख्य बिंदु।
-वाहन का रंग पीला होना चाहिए
- बाडी के दोनों ओर चार इंच की नीले रंग की पट्टी
- बंद दरवाजों के अतिरिक्त दो इमरजेंसी द्वार
- सीट के नीचे स्कूल बैग रखने की व्यवस्था और सीट बेल्ट
- खिड़की से बच्चों के अंग बाहर न निकलें, इसके लिए क्षैतिज ग्रिल्स लगी हों
- गति नियंत्रण हेतु अलार्म
- साइड मिरर
- स्पीड गवर्नर जिसकी अधिकतम गति सीमा 60 किलोमीटर प्रति घंटा हो
- सीसीटीवी कैमरा लगा हो
- अग्निशमन उपकरण
-फर्स्ट एड बाक्स
- इंजन, ब्रेक, हेडलाइट, विड स्क्रीन, जीपीआरएस, रिफ्लेक्टिव टेप
मेरठ में रजिस्टर्ड कमर्शियल वाहनों की संख्या
मल्टी एक्सल कृषि वाहन - 3296
ट्रक और लारी - 9308
हल्के भार ढोने वाले वाहन - 11844
बस - 3483
टैक्सी - 2524
हल्के यात्री वाहन - 16301
कुल कमर्शियल वाहन - 46983
कमर्शियल वाहनों की फिटनेस जांच की अवधि
- आठ वर्ष की आयु तक वाहनों की दो वर्ष में एक बार
- आठ वर्ष से अधिक आयु के वाहनों की प्रति वर्ष