कोयला तस्करी कांड की जांच करने का सीबीआइ को अधिकार, मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित
Coal Smuggling Case कोयला तस्करी कांड मामले में मंगलवार को सीबीआइ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी की पत्नी से पूछताछ की। कलकत्ता हाईकोर्ट के दो जजों की पीठ ने सीबीआइ को जांच करने की अनुमति दी है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोयला तस्करी कांड की जांच सीबीआइ के अधिकार के दायरे में है या नहीं, इससे संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। बताते चलें कि इस कांड में सीबीआइ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी की पत्नी से मंगलवार को पूछताछ की है। ममता सरकार की अनुमति के बिना बंगाल में कोयले के अवैध खनन व तस्करी के मामले की सीबीआइ जांच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है।
कलकत्ता हाईकोर्ट के दो जजों की पीठ ने सीबीआइ को जांच करने की अनुमति दी है। कोयला तस्करी कांड के मुख्य आरोपित अनूप माजी उर्फ लाला ने सर्वप्रथम कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दायर की थी कि वर्ष 2018 में ही बंगाल सरकार ने सूबे में बिना अनुमति सीबीआइ जांच की सहमति वापस ले ली थी लेकिन इस मामले में सीबीआइ राज्य सरकार की अनुमति के बिना एफआइआर दर्ज कर जांच कर रही है इसलिए दर्ज एफआइआर को रद किया जाए।
एकल पीठ ने एफआइआर रद करने से इन्कार करते हुए निर्देश जारी कर दिया कि रेलवे के इलाके में सीबीआइ जांच कर सकती है लेकिन अन्य क्षेत्रों में जांच, पूछताछ व तलाशी चलाने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। एकल पीठ के इस निर्देश को सीबीआइ ने हाईकोर्ट के दो जजों की पीठ में चुनौती दी, जिसपर सुनवाई के बाद 12 फरवरी को दो जजों की पीठ ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए सीबीआइ को राज्य में कहीं भी जांच करने की अनुमति दे दी है।
इसी फैसले को लाला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसपर सोमवार को ही सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट राजी हुई और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिम एमआर शाह की पीठ ने केंद्र और सीबीआइ से एक मार्च तक याचिका पर अपना जवाब देने को कहा है। साथ ही शीर्ष अदालत ने लाला की गिरफ्तारी या अन्य किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान करने की याचिका को भी खारिज कर दिया है।