#Good News: कानपुर-सागर राजमार्ग के समानांतर बनेगा नया फोरलेन हाईवे, मंत्रालय को भेजा गया प्रस्ताव
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से राजमार्ग सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है। वर्तमान रोड पर बाएं तरफ से बनाने के लिए अलाइनमेंट तैयार किया गया है। जल्द ही हरी झंडी मिलने की उम्मीद है।
कानपुर, दिग्विजय सिंह। कानपुर से घाटमपुर-हमीरपुर होते हुए कबरई तक एक नया फोरलेन राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने की कवायद शुरू हुई है। इसका अलाइनमेंट तैयार करके मंजूरी के लिए राजमार्ग सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को भेज दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इसे हरी झंडी मिल जाएगी और फिर कंसलटेंट द्वारा डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके निर्माण में करीब तीन हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें से एक हजार करोड़ रुपये से भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा।
कानपुर से घाटमपुर होते हुए हमीरपुर- कबरई जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग अभी नौबस्ता के बाद टू लेन है। इस वजह से इस नौबस्ता, रमईपुर, घाटमपुर आदि में जाम लगता है। जाम की वजह इस मार्ग में बड़े पैमाने पर चलने वाले मौरंग, गिट्टी लदे ट्रक हैं। इस मार्ग से बांदा, हमीरपुर, महोबा के साथ ही मध्य प्रदेश के वाहन गुजरते हैं। इन क्षेत्रों के लोगों को कानपुर, लखनऊ आने जाने के लिए यही एकमात्र मार्ग है। मार्ग को टू लेन बनाने का काम पीएनसी ने किया था। पीएनसी के पास 2025 तक टोल वसूलने का अधिकार है। ऐसे में इससे पहले इस मार्ग को फोरलेन करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती है, इसीलिए समानांतर फोरलेन हाईवे बनेगा। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से इस मार्ग को फोरलेन करने के लिए पहले ही सर्वे कराया गया था।
कंसलटेंट ने तीन अलाइनमेंट निर्धारित किए थे। पहला अलाइनमेंट वर्तमान मार्ग को ही फोरलेन करना, दूसरा वर्तमान मार्ग के समानांतर दाहिनी तरफ से नया मार्ग और तीसरा था वर्तमान मार्ग के बाएं तरफ से नया मार्ग बनाया जाए। दाहिने तरफ से बनाने पर यमुना में काफी बड़ा पुल बनाना पड़ेगा, क्योंकि यमुना की चौड़ाई वर्तमान मार्ग के दाहिने तरफ ज्यादा है। यही वजह है कि बाएं तरफ के अलाइनमेंट को मंत्रालय भेज दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इसे मंजूरी मिल जाएगी और फिर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस मार्ग के बन जाने से जाम की समस्या समाप्त होगी।
Highway Highlights
- 120 किमी है कानपुर से कबरई की दूरी।
- 03 हजार करोड़ खर्च होने का अनुमान।
- 01 हजार करोड़ भूमि अधिग्रहण में खर्च होंगे।
- 700 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जाएगी।