कथाव्यास ने सुनाया वामन अवतार का प्रसंग
रामलीला मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथाव्यास ने वामन अवतार का प्रसंग सुनाया
रायबरेली : रामलीला मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथाव्यास ने वामन अवतार का प्रसंग सुनाया। जिसे सुन भक्त भाव विभोर हो गए।
कथाव्यास परमानंद महाराज ने कहा कि राजा बलि ने धर्म को रखने के लिए परमात्मा को सब कुछ दान में दे दिया। उन्होंने बताया कि वामन विष्णु के पांचवें तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। वामन ऋषि कश्यप तथा अदिति के पुत्र थे। वह आदित्यों में 12वें थे। वामन को तीन पैरों वाला दर्शाया गया है। त्रिविक्रम रुप में एक पैर धरती, दूसरा आकाश और तीसरा बलि के सिर पर। भागवत कथा के अनुसार विष्णु ने इंद्र का देवलोक में पुन: अधिकार स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। बलि विरोचन के पुत्र तथा भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे। वे एक दयालु असुर राजा के रुप में जाने जाते थे। अपनी तपस्या और ताकत से बलि ने त्रिलोक पर आधिपत्य हासिल कर लिया था। वामन एक ब्राह्मण के वेष में बलि के पास गए और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। दैत्य गुरु शुक्राचार्य के बार-बार मना करने के बावजूद भी बलि ने वामन को तीन पग भूमि दान देने का वचन दे दिया।
गायत्री हवन पूजन और सम्मान समारोह रायबरेली : सर्व शांति के लिए गायत्री हवन पूजन विधि विधान से किया गया। इसके बाद कन्या भोज और सम्मान समारोह हुआ। इसमें बेहतर कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।
देवी शंकर मिश्र, सुशील श्रीवास्तव, गया प्रसाद मौर्य, पुष्पेंद्र कुमार वर्मा की टोली ने पूजन अर्चन कराया। यजमान सोनू श्रीवास्तव और चुन्नीलाल पूजन किया। इसके बाद कन्या भोज हुआ। अनिल कुमार श्रीवास्तव, शिव परिवार के आशीष अवस्थी व राम शंकर सिंह को सम्मानित किया गया। इस दौरान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें विजेता ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों को पुरस्कृत किया गया। आद्या, चिराग, रिया, अनामिका, आराध्या, मीठी, गर्व, प्रखर, स्वरा, रुनझुन, विदित आदि बच्चों ने प्रतिभाग किया। छोटे चौधरी ने सभी को अंग वस्त्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन योगेश मोहन घिल्डियाल, रमेश चंद श्रीवास्तव, चंद्र किशोर अवस्थी, हिनेंद्र चौधरी, लायक सिंह, शरद, रामजी श्रीवास्तव, संजीव, दया शंकर शुक्ला, हेमंत श्रीवास्तव, राम नवल विश्वकर्मा आदि मौजूद रहे।